प्रबीसा दृष्टिमे नवीन भारत | Praveen Drasti Naveen Bharat Khand-ii

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Praveen Drasti Naveen Bharat Khand-ii by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२ प्रवीण दृटटिमें लबीन भारत | कयोशो पुर्यक मय प्मण्ण गदर कयय सारा पुरुपीकों तरद व्यायाम श्ादि सियाने लगे हैं। देखा करना उनके सम्यूर्ण मरमादका पस्थियक है ब्यायाम करना 4.1 है ्पोि उससे स्थूलशगोगकों स्पास्थ्यरक्ता 'होनी दै, परन्तु खीश- रौर पुयय्छरेरसे भिष्ठ शतिक द्ोनेके कारण पुरुपके लिये जो प्यायाम दै उससे छियोंको कोई लाभ नदीं द्योसकता है। उससे ख़ियोंकों उस्टी हानि दोतो है । चीय्वेप्रघान य कठिनशरीर पुरुषके लिये जो ब्यायाम है उसको रजम्मघान व कोमलगर्रीर स्त्री के लिये पिदित करनेसे उसको संतानादि दानमे वाधा च गर्माणय यादि प्ा्नोमे क घफारकी याघा घ पीड़ा हो जासकतो हैं जिससे नारे नागीधम्मेयो टौ पालन नहीं करसक्तेगों थौर यही यातत श्रुत शमादि चिक्षित्माशाखरोमे मो शरायी गयो है 1 अन.श्स धकार शासो. रिक व्यायामरित्ता खिर्ोको कमा नहीं देनी चादिये । उनका ब्या- याम गुदकाय्ये दी होना चाहिये । वरम कई यकारे कायं तेष जिससे खौ नानिके उपयोगो पूरे बैयायासका फल स्त्रियौकों घास दोसकता है और शासोसिक हानि मी कु नहीं होती,है। थे दो सय उनकी मतिके श्रज्नुकूल्ल है श्वन- घर्स्म है । छियाँ को कन्या पस्यामें किस प्रफार शिक्षा देनों चाहिये सो शिक्तादी नामक मवन्यमें पहले हो चताया गया है । पहले हो कहा गया हैं कि फम्याकी देसी शिक्षा दोनो चाहिये कि जिससे चह भविष्य श्रच्छों माता व पत्ता वन सके, कर्ोकि श्पनी उन्नति श्वौर सतामोंकी मायमिक शिक्ताके लिये पितासे भों माताका सम्बन्ध श्धिक न्दता है । सोर माताकी चोर मतान श्र घार्सिक माताको घार्सिक संतान श्रायः ह्या करती है । घुव, भट्ाद, यमसिमन्यु, मद्दायाणा प्रतापर्सिह, नैपोलियन, जो सेफ मेज़िनो, जार्ज चारशियडन आदि महापुरुष व शक्ति मान्‌ घुयपी को जीव नीकों टूँद कर देखाजाय सो पता लगेगा कि उनके असाधारण चरिनिका थीज यारयावस्वामें साना के द्वारा ही उनके हृदयमें झंदुस्ति हुआ था । इसलिये कन्या्योकों पेसी ही शिका क, न




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