किसने मेरे ख्याल में दीपक जला दिया | Kisane Mere Khyal Men Deepak Jala Diya

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Kisane Mere Khyal Men Deepak Jala Diya by उपाध्याय गुप्तिसागर - Upadhyay Guptisagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आप ही करना होगा, तभी उनका यथार्थ लाभ प्राप्त हो सकता है। यदा - कदा गुरुजनों की कृपा से भी आत्म प्रकाश की किरणे मिल जाती हैं, किन्तु इस कुपा के लिए पुन आत्म निर्भरता पर आना होगा। गुरु अथवा ज्ञानी पुरुष को प्रसन्न करने के लिए जिस सेवा और परिचर्या की आवश्यकता होती है वह तो अपने किए ही पूरी हो सकती है, कोई बदले मे सेवा करके गुरुजनो की प्रसन्नता किसी दूसरे के लिए सपादित नही कर सकता। उत्साह आवश्यक कोई भी क्षेत्र और विषय क्यो न हो, उसमे उन्नति के लिये आत्मनिर्भरता का गुण विकसित करना ही होगा। परावलम्बी प्रवृत्ति से किसी प्रकार की उन्नति नही की जा सकती। आत्म विश्वास, योग्यता, क्षमता, साहस ओर उत्साह आदि रेसे गुण है, जो जीवन को उन्नति के शिरवर पर ले जाने के लिए न केवल उपयोगी ही है, बल्कि अनिवार्य भी हैं। जिसमे आत्म विश्वास की कमी होगी वह किसी पथ पर बढने की कल्पना ही नहीं कर सकता। वह तो यथा - स्थिति को ही गनीमत समझकर चुपचाप अपना जीवन कट जाने मे ही कल्याण समझेगा। जो कर्तव्य के प्रशस्त पथ पर चलेगा ही नही, जिसे यह विश्वास ही न होगा कि वह भी उन्नति कर सकता हे, आगे बट सकता है, उन्नति ओर प्रगति उसके लिए असभव ही बनी रहेगी। जिनमे उत्साह नही, वह जीवन - पथ पर आई एक ही असफलता से निराश होकर बैठ जाएेगे। एक ही आघात मे उनके उन्नति ओर विकास के सारे स्वप्न चकनाचूर हो जायेगे। निश्चय ही उन्नति ओर प्रगति मे उत्साह का बहुत महत्व हे। उत्साह से वचित हुआ व्यक्ति साधारण काम भी सफलता पूर्वक नहीं कर सकता तब कोई ऊँचा लक्ष्य तो बहुत दूर की बात है। स्वावलबन अथवा आत्म निर्भरता के पवित्र व्रत पालन से उन्नति ओर विकास के सारे द्वार खुल जाते है। जिसने आत्म निर्भरता का व्रत लिया हे वह इस लज्जा से कि कही किसी विषय से परमुखपेक्षी होकर उसका व्रत भग न हो जाए, स्वय प्रयत्नपूर्वक अपने अन्दर की सारी कमिया दूर करता रहेगा। दूसरे का मुख देखने या हाथ पसारने के वजाय स्वाभिमानी व्यक्ति अपनी सारी कमियो को दूर करने का कोई प्रयत्न नही छोडेगा, चाहे फिर इसके लिए उसे कितना ही कष्ट ओर कठिनाई क्यो न उठानी पडे। किसने मेरे ख्याल मे दीपक जलादिया - #




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