दिनकर के काव्य में द्वन्द्व | Dinkar Kay Kavaya May Dwand
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
141 MB
कुल पष्ठ :
379
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
नीलम मुकेश - Neelam Mukesh
No Information available about नीलम मुकेश - Neelam Mukesh
स्वयंप्रभा दुबे - Swayamprabha Dube
No Information available about स्वयंप्रभा दुबे - Swayamprabha Dube
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)3. राजनीतिक परिस्थितियाँ
पारिवारिक परिस्थितियां --
एक कलाकार या साहित्यकार जब भी आसमान की ऊँचाइयों को
छूता है, इसका प्रेरणास्रोत उसके आसपास का परिवेश होता है। एक साध.
7रण व्यक्ति किसी नदी, पहाड़, झरने व हिमालय को देखकर वह कल्पना
नहीं कर सकता जो एक साहित्यकार कल्पना करता है। जिसका अध्ययन
जितना गहन होता है वह व्यक्ति किसी भी वस्तु से उतना ही त अधिक प्रभावित
होता है। दिनकर ने जब इस धरा पर आँखे खोली तो अपने आपको
परिस्थितियों से घिरा पाया। बचपन में ही पिता का देहान्त हो जाने से पिता
के प्यार से वंचित रहे। माँ पर ही समस्त उत्तरदायित्व का .बोझा आ पड़ा।
माता ने अपने तीन पुत्रों का पालन पोषण किया। दिनकर का सुकूमार शरीर
व सुन्दर रूपरंग देखकर उनके ज्येष्ठ भ्राता ने उन्हें कृषि कार्य से विमुख
रखा | दिनकर के ज्येष्ठ भ्राता बसन्त सिंह की प्रबल इच्छा थी। कि दिनकर
पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी करें। विषम परिस्थितियों में उन्होंने अपनी
पढ़ाई समाप्त की और परिवार की डोर अपने हाथ में सम्हाल ली। बड़े भाई
बसन्तसिंह की पाँच बेटियों व एक बेटा, दिनकर के दो बेटों व दो बेटियों तथा
छोटे भ्राता सत्यनारायण की एक बेटी व दो बेटों का दायित्व उनके ऊपर आ
पड़ा । समस्त परिवार का बोझ उनको ही ढोना पड़ा। दिनकर ने अपने जीवन
काल में छे भतीजियों, दो पुत्रियों, तथा दो पौत्रियों का वैवाहिक यज्ञ सम्पन्न
किया। जीवन भर की कमाई बेटियों के वैवाहिक कार्यक्रमों में लगा दी | किसी
भी विवाह में मात्र आर्थिक सहयोग ही नहीं वरन् शारीरिक सहयोग भी देना
पड़ता था। सारा कार्य उन्हें ही सम्पादित करना पड़ता था। निमन्त्रण पत्र
कक न कक
User Reviews
No Reviews | Add Yours...