असली सन 1875 का सत्यार्थ प्रकाश | Asali San 1875 Ka Styarth Prakash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
48 MB
कुल पष्ठ :
570
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ष
क्प द) कल भोग लना दै यह वात मेरी न्त्य हायगी उत्तर
| च्छ्म शरार कथा वही जीवकसाथ रहनादैसा श्रत्यन्त |
॥ वणं दीरैवेस श्राकाशदिक पदाथमी परमेशनरमरं व्याप्य हैं और |
| ददार्थों की श्ववधि है इनसे सूकम आगे संसार के पदार्थ कोई
स्वत्यार्थप्रकाश । ३७५ 9. |
1 दे सो स्याय युक्त ही करता है अन्यथा नहीं सो इससे यह
| सिद्ध सया कि श्नेक जन्म होते हैं सो जोव शविद्या दिक दो |
| स बुक दोक विषयमे फसा रहना द शस्त जोव का यिबक्रा- |
दिक गुर नह होने से बन्घन भी इसका नष्ट नहीं होता जब
| दुःख से छूट के मुक्ति को प्राप्त होता हैं प्रश्न प्रथम श्राप
| कह चुके हैं कि बिना शरीर से खुल वा दुमख भाग नही हो है
| सस्ता सो मुक्ति में भी जौघ को शरीर रहता होगा श्र जो |
| चह कि नहीं रहता तो मुक्ति का भाग केसे कर स्का श्र |
है जा ऋर सकता हैं ता हमने कहा था कि सन में पश्चासाप से
| जत्रा मुक्ति में रहता हैं शोर शरीर नहीं क्यो कि पहिले जा |
| खुदम है झोर सब पदार्थों न उत्तम शरोर निमन दै जै भरि
{ सख लाहा तप्त होता हैं उस म्र श्र्चिसं भी श्रथिक दाह होता |
| 3 शेत हो एक झद्धितीय चेतन परमेश्वर सर्वत्र व्यापक दे |
उसको ससा से युक्त जोय खेतन सदा रहता हैं कपों |
| {ङ ब्यापकर्से बयाप्यका जियाग कमीनहों होता जैसे झाकशा |
| स स्वव स्थूल पदार्थों का वियोग कमी नहीं मनुष्य श्रौर वायु. |
| आदिक जहां २ चलते फिरते ह वहां < काश का संयोग ।
| कग्मेश्वर सथ ब्यगपक है परमाणु और प्रकृति जो कि सुक्ष्म |
कका
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