श्री सम्भवनाथ चरित्र | Shri Sambhavanath Charitra

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Shri Sambhavanath Charitra by ईश्वरलाल जैन - Ishwarlal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1 (५११५) पर मारवाड़ में विद्या को “मिचार संपूर्ण रीति सेमन सोने से छज्ञानतां और च्देम-चर जमा के बैठे है. फिर भी उस-भोसी मारवाइ:की प्रजामें वचहुत सख्यामें धनाव्यों केयर प्रत्येक शहर और ;मत्येक ,गावमें : पाये जाति हैं । इस कथाफे नायक भी मारवाद के एक मसिद्ध शदरमें जन्मे & सरकार - पाये द - शौर - षनत्याग युद झपने जीवन-का व्येय वना रखा रै-। „ ४ क - ~ एकर कवि'की उक्तिदैः क्रि-- -- उपा्जिताना वित्तानां, त्याग एव हि स्नणम्‌ ।- पतडागोदरसंस्वानां परिवाह ~ इवाम्भसाम्‌ ॥- - ऐसे-उपकारी आत्मा को जनसमूह के-सामने रखना आर खास करके बनीपुरुप - ऐसे सपत्तिगील, पुरुपके जीवन के फिसी अशफो 'यनुरुण करे यही इस लेख का फल हैं और इसलिये हो लेखक -का प्रयत्न है, झाशा है कि बाचकगण इससे लाभ उठावे 1: , ~ -जिनका नाम है सेठ किसनलालजी लूणावत 1 ~ नन्पस्यान फलो पी ( मारवाड़ ),-माता का नाम मंगनवाई, पिता का नम जयराजजी, गोत्र लूखावत, जन्म- तिथि सवत्‌ १६२३८ श्रसाढ वद्‌ १४॥ सेठ जयराजनों ५क बढ़े नीनिकुशल व्यापारी घर धनाव्य पुरुप थे । उनकी इज्नत फलोबी_ में-श्ौर श्रासपास के घोट वे गिं




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