संक्षिप्त विश्व इतिहास | Sankshipt Vishwa Itihas

Sankshipt Vishwa Itihas by विभिन्न लेखक - Various Authors

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वहसंख्या वौल्ोविकों का साथ देने लग गयी , जिनका युद्ध के सबसे मुख्य मोर्चौ - उत्तरी तथा पर्चिमी मोर्चो मे ओर वाल्टिक वेडे में गी बहुत अधिक प्रभाव था। संक्षेप में , सारे देश में क्रांतिकारी उर्भार अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच गया था। क्रांति की विजय और रूस में सोवियत जनतंत्र की घोषणा जब शांतिमय तरीक़ों से राज्य सत्ता सोवियतों को हस्तांतरित करने के सभी प्रयास निरर्थक रहे और यह स्पष्ट हौ गया कि अस्थायी सरकार राजधानी पेत्रोग्राद को जर्मन सेनाओं के हवाले करने जा रही है तथा उनकी सहायता से जनता को दवाना व क्रांति को कुचलना चाहती है, लेनिन की रहनुमाई में कम्युनिस्ट पार्टी ने मजदूरों और सैनिकों का वलप्रयोग द्वारा अस्थायी सरकार को सत्ताच्युत करने और सोवियतों का शासन क्रायम करने के लिए आह्वान किया। २५ अक्तूवर (७ नवंबर ) , १९१७ का दिन रूस की जनता ओर समस्त मानवजाति के इतिहास में सदा स्वर्णक्षिरों में अंकित रहेगा। इस दिन पेन्नोग्नाद में न्यूनतम रक्तपात के साथ जनता का विद्रोह विजयी हुआ, मेहनतकड जन का समर्थन खो चुकी अस्थायी सरकार को सत्ताच्युत किया गया और सोवियतों की दूसरी अखिल रूसी कांग्रेस शुरू हुई, जिसमें उपस्थित प्रतिनिधि २ करोड से ज्यादा मतदाताओं द्वारा जनवादी तरीक्रे से चुने गये थे ओर जिसने राजधानी तथा समस्त देड में राज्य सत्ता मजदूरों, सैनिकों तथा किसानों के प्रतिनिधियों की सोवियतों को हस्तांतरित कयि जाने की उद्घोषणा की तथा व्ला० इ० लेनिन की प्रमुखता में सोवियत सरकार - जन कमिसार परिषद -का निर्वाचन किया। सोवियत सरकार तुरंत ही जनसाधारण की बुनियादी मांगों को पुरा करने लग गयी । २६ अक्तुवर ( वर्तमान तिथिक्रम के अनुसार ८॑ नवंबर ) * को सोवियतो की दूसरी अखिल रूसी कांग्रेस ने ऐतिहासिक महत्त्व की शांति आज्ञप्ति अंगीकार की । इस आश्ञप्ति के द्वारा सोवियत सरकार ने सभी युद्धरत देशो ओर उनकी सरकारों के सामने प्रस्ताव रखा किं न्यायसंगत ओर जनवादी शांति के लिए, जो शांति पराये प्रदेशों को अपने प्रदेशों में मिलाये जाने' तथा आगे सभी तिथियां वर्तमान तिथिक्रम , अर्थात ग्रेगोरियन पंचांग के. अनुसार दी गयी हैं।-सं० 2-533 १ पि




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