भाटि राम कवि और आचार्य | Bhati Ram Kavi Aur Acharya

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Bhati Ram Kavi Aur Acharya by डॉ. नगेन्द्र - Dr.Nagendra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कक मतिराम विययक सामग्री भोर उसको परीक्षा दे थे। इस दिपय मैं झन्तवद में किवदन्ती है कि “इनके पिता दुर्गाआठ करने नित्य देवी जी के स्थान में जाते थे वे देवी जी वन की भुइयाँ कहाती हैं टिकमापुर से एक मील के अन्तर पर हैं एक दिन महाराज राजेस्वरी भगवती प्रसन्न हम चारिमुड दिखाय बोली यही चारों तेरे पुत्र होगे निदान ऐसा ही हुमा कि चिन्तामणि १ सूपण र मतिराम ३ जटाशंकर या नीलकंठ ४ चारि पुव उत्पन्न हेये इनमें केवल नीलकंठ महाराज तौ एक सिद्ध के भायीर्वाद से कवि हुये शेष तीनों माई संस्कत काव्य को पटि रेते पप्डित हूय क्रि उनका नाम प्रम तक वाको रटेया १ (३) इनके माई भूपा का जन्म संवत्‌ भी संवत्‌ १७२८ वि० टै । (४) ये कुमा नरेय उयोतवन्द्र, कोटा के महाराज माञर्बिह, राजकोट शूदी के हाड़ा छाल, शंमुनाय सुलंझी इत्वादि के झाश्रय में रहे । इन्होंने शलनिततलाम' माऊमिह के श्रौर छन्दषार पिल श्रीनगर (दुन्देलखंड) के फतेसाहि के झाथय में रचा* 1 इन तथ्यों में कहाँ तक सचाई है इसका झ्रामास तो यह कहने मात्र से ही हो सकता है कि ये भविकाशत: ऐसी दिवदन्तियों पर भ्राधित हैं जो कालान्तर में इतनी विकृत हो गई हैं कि भास्तिकता जमे तत्व के भ्रा जाने के कारण उनमें से संत्याश निकालना मत्यन्त कठिन हो गया है । जहाँ ठक मतिराम के जन्म संवतू का प्रन है उसकी सत्यता म तो पू्ंठः सन्देह स्त्या जा सक्वा है, वयोंकि यह भी अनुमान और विवदन्तियों पर हो भाधित है । ठाजुर साहव के कथयनानुसार मतिराम झौर मूपा एकं हौ संवर्‌ में उत्पन्न मान भी लिये जायें, तो भी अनेक स्वलों पर ऐती चरुटियाँ हैं कि स्दीइत बातो पर भो सन्देह होते लगता है । उदाहरण के लिए मविराम क वंयज विदहारौतात त्रिपाठी ता जन्न संवत्‌ १८८५वि०३ भौर उनके पिता सीतल त्रिपाठी का जन्म संवत्‌ १६६१ दि०* वताया गया दै, जो भगुद्ध टी नटीं भसंमव मी है । किन्तु फिर मो जो दुछ इन्होंने कहा है, वह डुद न होने से अच्छा है। कदाचित्‌ कठा भी जा सकता है कि परवर्ती विद्वानों ने इन तथ्यों के प्रकार में श्रयवा उनकी सत्यता को माँकने के लिए ही झस्वेपणा क्या अन्यया जो कुछ मी सामग्री हमारे पास है वह भी संभदत: न होती । सर प्रियसन ने तो इतते अपने *मॉडनं वर्नावयुलर लिटरेचर झॉंवर हिन्दुस्तान' में मतिराम के जोवन-बूत्त का झाधार ही नहीं बनाया प्रत्युत झपने दाब्दो में ज्यों वा त्वों प्रस्तुत भी कर दिया है* । इसके ठीक २३ वर्ष उपरान्त मिश्रवन्पुस्रों का “हिन्दी नवरत्त' प्रवाशित हुआ, जिनके अन्तर्गत हिन्दी-ताहित्य के जिन श्रेष्ठ नो कवियों की जीवन-वृत्त-सहित समालोचना प्रस्तुत की गई उनमें मतिरान मौ ह+ इमे सन्देद्‌ नहीं कि विद्धान्‌ १.० रिवइ छोय (भमन स्क), १० २७६ 1 २. कड, ९० ४३२-३२॥ ३. बही, प० ४४४६ ४. वहो, ०४६४1 ४. दे° वई “मोदनं दनो च्ुरर लिररेदर अद हिन्दुस्दन , ९० ६२ ।




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