धूप क्यों छेड़ती है | Dhoop Kyon Chhedati Hai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मै देशद्रोही नही हूं मैं मानता हूं मैं स्वतन्त्र भारत की देह पर फोडा हूं; लेकिन मैं अजेय नहीं हूं । बस, अपने भीतर दर्द रखता हूं; इसीलिए अछूत हूं, दोपी हूं मैं अक्षम नही हूं, भूखा हुं । भले ही आपने मुझ पर- शरीवी की रेखा पटक कर, छुपाने का असफल प्रयास किया है । फिर भी मै तुम्हारे लिए भय हूं, कि, कोई दवा पड़ा है । सामने न सही अपने ही मस्तिप्क में मुझ रो हाथ मिलाते हो तुम । घृष क्यों देती है 0 17




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