महायज्ञ | Mahayagya
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
94
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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यथं -नो मनुष्य स्यु के मार्ग (दुराचार मनः की रपिता)
का परित्याग करते हुए सेरी ओर (मेरे मार्ग) पर आते हैं वे बढ़ी
लम्बी और बहुत अच्छीआयु के धारण करनेत्राले होते है ।
हे मनुष्यों ! प्रजा से और धन से ब्ृद्धि कोग्राप्त होते हुए (बढ़ते
हुए) तुम सच शुद्धा चरण बाले यर पक्ति सन वाले हण
यज्ञकमं (शरण्ट तम कम) के अधिकारी होवो (वनो) ॥
€-आरोहत आयु! जरसं घ्रणानाः, अनपूवै यतमानाः
यतिष्ठ इह तष्टा सुजनिमा सजोषाः, दील युः, करनि
च; (ऋ १०।१८६)
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