महायज्ञ | Mahayagya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Sarswati, Shri Parasnath by

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्रीपारसनाथ सरस्वती - Shreeparasnath Saraswati

Add Infomation AboutShreeparasnath Saraswati

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
| 5. ‰ ~ यथं -नो मनुष्य स्यु के मार्ग (दुराचार मनः की रपिता) का परित्याग करते हुए सेरी ओर (मेरे मार्ग) पर आते हैं वे बढ़ी लम्बी और बहुत अच्छीआयु के धारण करनेत्राले होते है । हे मनुष्यों ! प्रजा से और धन से ब्ृद्धि कोग्राप्त होते हुए (बढ़ते हुए) तुम सच शुद्धा चरण बाले यर पक्ति सन वाले हण यज्ञकमं (शरण्ट तम कम) के अधिकारी होवो (वनो) ॥ €-आरोहत आयु! जरसं घ्रणानाः, अनपूवै यतमानाः यतिष्ठ इह तष्टा सुजनिमा सजोषाः, दील युः, करनि च; (ऋ १०।१८६)




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now