मेरा उत्कल-प्रवास | Mera Utkal - Pravas
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
358
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about अनसूया प्रसाद पाठक - Ansuya Prasad Pathak
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मेरा उ रूल-' वास
पुरी-आगमन
में १७ नवम्बर सन् १९३२ के दिन सबेरे ८ बजे पुरी
पहुँचा । में कोई राष्ट्रभाषा का प्रचारक नहीं था, श्रौर न
राष्ट्रभाषा का प्रेमी कर्मी ही, मुझे याद नहीं था कि राष्ट्रपिता ने
राष्ट्रभाषा को क्या स्थान दिया था। पर चूंकि पुरी में काग्रेस
होनेवाली है, इसलिये मेरा श्राग्रह श्रघिक था । ऐसा सम्भव तो
था नहीं कि रुपये खर्चे करके कांग्रेसके महासम्मेलन में भाग ले
सकं । लेकिन मेरा कांग्रेस के प्रति प्रेम था श्रौर इस प्रेमको पदा
करने वाले थे पं० कालिका प्रसाद शर्मा । मं उन्हीकी सोहबत
मे प्राया, ग्रौर भ्रग्रेजो के प्रति श्रश्रद्धा करना सीखा । फलस्वरूप
काग्रेस का उत्सव मेरे लिये पुरी तीथं से कम नहीं था। मेँ उनको
समर्थक था जो मार कर भारतसे प्रग्रेजों को भगा देने का उद्यम
करते थे। यह मुझे पसन्द था, उस प्रोर खिचाव था। पुरी
मे प्राया, सीधे स्वागत कार्यालय गया, जो पुरी शहर कं बीच
बड़े पथ (बड़ दाण्ड) में था । वहां में श्रीयुक्त गोपबंधु चौधरी
से मिला ।
गोप बाबू ने कहा--तुम स्वयंसेवकों को हिन्दी सिखाने
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