मंत्री री बेटी | Mantri Ri Betee
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)21
स्यात् कोनी माया, पण पापा को एक पराणो वेल आयौ, आवता ही
बोल्पो--'समान सामत्या, मकान ले लियो है किराये पर, थाने बर्ठ ही
चालणो है।' म्ह बोरिया बिस्तर बाघ लिया 1 म्हार बने काई हो, सगठों
कीठी रो ही हो, म्हे एर छोटे से मकान में आग्या, म्हारली सागी माल्या,
सागी बिस्तर, की बरतन भाडा जरूर बधग्या हा । पापा ओवू सडक पर
आग्या, कोई वार नी, पगा ही फिरेँ। म्हारली सगठी भायल्या छूटगी,
निशा, नौरा परतो मी कठ गई । वै नेता, वै अफसर, बा भीड, चपरासी सिपाही
देखण नँ कोनी मित्या } पापा दो-तीन दिन सरू फेर बारें गया, फेर चाण-
चकं क्ण ही समचार दियो--“पापा ओज पकडोजैला,'म्ह तो जोर-जोर
स्यू रोवण लागगी, बोकृरडो पाड दियो ।
मा बडी स्याणी, वण यौजू धीरवधायो, षण पाषा दिन उसे ही
ग्या
पापा दफ्तर जावता, पथ भो तो पार्टी रो दफ्तर हो, पा हो जावता,
पया हौ भावता, पापा रे सरीर में कोई फरक करोती आयो, वारे व्यवहार
में कोई फशक कौनी आयो, विया ही हसणो, दोलणो, सोबणो, उठणों, भीतर
कॉईपीड ही तो पत्तो नी, पण बठैइ कोई उदासी कोनी दिखी, मा जरूर
फीकी पड़गी, मूठ पर उदासी आागी, जी लाली माई ही, वा ओजू काटस
में बदन सांगगी । वै दिन तो याद आवता, पण पापा री मस्ती देवन म्ह
लोग भी मस्त रवण लागम्या।
वकन जद करवट लेव, मो छानो कोनौ रवै । भव वक्त तो भोत वडो
हाथी है, भिनघा वीरे माम कोडा-मकोडा ६ । भो पसवाड पोर तो मिना
मे काई माजनो । भवार वक्र पसवाडो फोरे्ो। वो पुकारा भारं हो । वीने
इतिहास बदछणा हो, गण वदव्येयो । वडा-वडा महल माणिया ैवण
लागग्या । बी रो फुकार साथ बदा-बडा राजा महाराजा उडग्या 1 न तलवार
चाल, नवद्रुक । न तोष से गोद्धौ सुगीज्यो, न वम पाटो, पण फक्त
इतिहास गरदो । दैरभी कोनी लागी, रौज मदं बात सुण्णं म बवती,
करर्ता-करता वक्न जी टिका लियो, पण जित्तौ बढाव खादणो हौ वितौ
अवम्धो। हृजास बरसा रा जमडा राज कोनी रया, तनवारा रं नोक स्यू
किवी जागाख कोनौ र्यी, प्कत इतिहात र॑ग्यौ { जच्छ दिया दियो
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