हिन्दी विपूवकोष | Hindi VipuvaKosh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
77 MB
कुल पष्ठ :
607
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)खामादारो--स्वापा १९
भासं । पवानातलायो क्िखो क्किपो चोजको ठ ठनेके
ज्ये शेते हे ।
स्वानादारो ( फाण्ख्रो०) गा स्थद, ग्टइस्थी ।
स्वानापोना ( छिं० ) खानपान दे दो |
खामापुरो ( छिं० स्प्रो० ) खालो जगह का भराव।
ख॒ नापुर-१ बम्ब प्रान्तके बेलगांव जिलेका एक
साझ क । यड अत्तार १५.२२. तथा १५. .ॐˆ उर
आर देशा० ७४ ५ एवं 3४' ४४ के वोच पड़ना डे)
खानाएरका रकवा देश वगमोल पौर भावादौ नग
भग८५५८.६ है। इस द णमे दक्षिण तथा दक्षिण-पश्यिम-
को पद्ाड भर जड़ल है । खेतो का कह्ों नाम नहों ।
इसके उत्तर-पश्चिमस्थ पव त प्रधानत: उच्च लगते हैं ।
कन््ट्रस्यल, उत्तर पूवं ओर पूव में लमोन बदत
अच्छो है ।
२ बब्बईसे सतारा जिलेका एक ताक ,क । यष
अक्षा० १७” प् तथा १७ २७ त० भोर दे शा० ऊध
१४८एव' ७४* ५१. पूण्के मध्य भ्रवस्थित है । क्षेत्रफल
५१० वगमो भौर लोकसंख्या ८५८११ है । यहां
ब्त कम जङ्गल है। यरला गदो खानापुरक्त उत्तर से
द्क्षिणक्षो छष्णासे मिसनेके लिये निकल मयो ह)
१ बम्ब प्राग्तोय सतारा जिलेके खानाणुर ताज्ञक-
का एक गांव । यह अचा० १७ १५ जन और द शा०
3४ ४३” पून्में बोटासे लगभग १० पूवको 'भवस्थित
रे , इसको जनसंख्या प्राय; ४९२२८. है। भूपालगढ़क
पास पड़नेसे यद्द पुराने समयमे श्रपने निकटस्थ प्रद थ-
का सदर दा । नगरमें पत्थर भर महेको दोवारों
सोर बुजेदार फाटकोंका भग्नावशेष विद्यमाम है।
इस गांववी मसजिदमें भरवो आर कनाड़ो भाषाके
शिलाफलक लगे हैं ।
खानावदोग ( फा० वि० ) ग्दइडोन, उउझ,_, जद़ं तह
रहे जानवाला।
खानाशुमारो ( फान स्त्रो ) ग्दइगणनाकाय, मकानों शा
शुमार खगानेको लत |
खानि ( सं० स्त्री ) स्व॒निरेव-प्रपोदरादिवल तड: । खमि,
सदन ।
खानिक ( सं० क्लो ) खानेन लगमेन नि त्तमू, कन-
01. पा. 4
ठज. । १ कुद्यच्छ , दोवारका गङ्गा । रे रन, जषा
दात ।
सानिल , सं० त्रि° ) खानं शमम शिल्पत्व ना स्तद्स्थ,
खान बाडुनकात् दख । सन्धिदोर, नकवजनम, संघ
लगानवानता +
खानिष्क ( सं० क्लो ) अति शुष्क मांस, बहुत सूखा
मा गोशत ।
लानो(संन्स्टो) खनिव। ङोष । खनि, तदान।
खानुखा--राजपूनामाके भरतपुर रान्यको इपषाष तड
सोलका एक गांव । यह पच्।° २७ २चखन्भौ.
टेणा० ७5 ३३. पण्मे वाणगङ्काके नदोकं वामर
निकट भरतपुर गगरसे प्राय: १३ मोल दक्षिण अवस्थित
टे । रोकसंख्या प्रायः १८५७ रोगो यों १५२७ न्वे
मायं माखको ब.वर पौर मेवाड-रालासंप्रामसिंदक
प्रधन दाजपृत राजाभोंडं वोच धोर्युह इषा । प्रथ
मत: बादशाइने डरने पर शराव न पोनेका शपथ
लया और सोने चांदोके प्रबलो. भौर पियालों का
तोड़ करके गरो बांट दिया था । परन्तु पोकेको
राजपूतोंके हारने पर राल। जख्मी ो करके मुश्किलसे
भाग पाये भोर ख् गरपुरकं रावल दयसिंडः काम
भाय ।
खानोदूक ( स क्रा० ) खानाय पानाय उद यत,
वतो नारिकेलफल, मासि्यल, इम।
ष्व।न्य ( व° तरि० ) खन-ण्यत् । खनन् ज्या जानेवाला,
जो खुदन लायक इ! । ( ना्य(० ग्रो° ८३।४।५)
खापगा ( सं° स्त्रो° ) खस्य भ्राकाशस्य आपगा, ९-तव्।
ग्ग, सुरसरि)
खापट (हि ° स्वौ °) भूमिविशेष, किमो किस्मको जमोन् ।
इसमें लोहका भाग अधिक रहता हे । खापटकौ मरै
कड़ी और भारो पड़ती भ्रौर पानो पड़मेसे लसलसानं
लगती है । इसको केवल वर्षा ऋतुमे शो श्राकषण कर
सकते हैं । खापटमें सिवा धानकं ओर कुक नहों उप-
जता । इसको मट्दों कपसा या काविस कइस्ालों है ।
काविससे कुमार वतन बनाया करते हैं ।
खापा--मध्यप्रदेशके नागपुर जिलेको रामटेक तहसोलका
एक नगर । यच अ्ता० २१ २४ उ० और देशा० ८“
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