आजादी की छांव में | Aajadi Ki Chhanva Me
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19.67 MB
कुल पष्ठ :
322
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)करता हूं जम्अ फिर जिगर-ए-लख्त-लख्त को 5 कमर टूट गई हो । खुद पहली आजाद हिंदुस्तान की गवर्नर सरोजिनी नायडू बावजूद कोशिश के शपथ-पत्र सही न पढ़ सकीं। क्या इसी भविष्य के लिए हमने सालहा साल इंतिजार किया था ? हममें से कौन यह जानता था कि गड़े मुर्दे उखाड़े जाएं ? और लोकतंत्र की जगह धर्म और मजहब की ठेकेदारी हुकूमत ले ले ? यह सब कुछ तकलीफदेह था । दिल तोड़ने वाला था । ब्राह्मणवाद का यह नजारा देखकर हमारे रोंगटे खड़े हो गए । हमने आने वाले वक्त की झलक देख ली । वे लोग जो पिछले बीस बरस महज तमाशाई बने रहे थे खुश हो-होकर हमें ताने दे रहे थे देखा ? हम न कहते थे कि इख्तियार मिला नहीं और हिंदुस्तान में हिंदू राज हो जाएगा ? इसीलिए पाकिस्तान बनाना जरूरी हुआ बल्कि इसी जहनियत ने पाकिस्तान बनवाया है। एक बुजुर्ग ने फरमाया में तो इस पर एक मजमून लिख चुका हूं कि ब्राह्मणवाद हमेशा हिंदुस्तान पर हावी रहा है। बुद्धमत कैसा फैला कितनी तरक्की हुई मगर ब्राह्मणवाद ने ऐसा दबाया कि हिंदुस्तान से नाम-निशान मिटा दिया । इस्लाम वैसा चमका लेकिन ब्राह्मण के फंदे में फंसकर उसी के रंग में ऐसा रंग गया कि अपनी विशेषता से भी हाथ धो बैठा। ईसाई मत ब्राह्मणवाद के चक्कर में ऐसा गिरफ्तार हुआ कि थियोसॉफिकल सोसायटी के रूप में उसे भी ब्राह्मण का लोहा मानते ही बनी । यह ब्राह्मणवाद हिंदुस्तान पर छाकर रहेगा । गांधीजी हजार सर पटकें और तुम लोग कितना ही बावेला क्यों न करो हिंदुस्तान इससे छुटकारा नहीं पा सकता । यह सब कुछ सुनना भी बड़े सब्र का काम था । हम सब दम-ब-खुद थे। न कोई उम्मीद नजर आती थी न रोशनी । हममें से कुछ सोच रहे थे कि आखिर ये मजदूर-पेशा अवाम ये मध्यम वर्ग वाले ये गरीब लोग इन सबके लिए भी इस गोरखधंधे से निकलने का कोई रास्ता है ? वह रास्ता ढूंढना पड़ेगा । कांग्रेस का बुर्का ओढ़कर जो झलक हमें दिखाई गई है और जो स्वांग रचा गया है उसकी असलियत से परदा उठाना ही पड़ेगा। ताड़ने वाले ताड़ गए कि हवा का रुख किस तरफ है और यह पानी कहां बरसेगा ...लीग वाले खुश थे कि अब इस हम्माम में अकेले हम ही नंगे नहीं हैं कुछ और भी हमारे साथी निकल आए । मगर तरक्की-पसंद इस फिक्र में थे कि पुराने आजमाए 11. मानसिकता। 15. चौधरी मुहम्मद अली रिटौलवी । 16. लेख। 17. सांस रोके हुए। 18. मुहावरा जिसका अर्थ है सभी एक सी स्थिति में हैं। 19. प्रगतिशील ।
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