भक्तामर - सौरभ | Bhaktamar Saurabh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
330
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)। < । स १ । पच णमोक्कारो, सव्व पावपणासणो । ` १ ६
रः मंगलाणं च सव्वेसिं, यढमं हवड् मंगलं. 11
(= | णमो अरहताणं ) अरहतों को नमस्कार | धर्म को ८५५
चलाने वाले अरहंत कहलाते हे | वे संसार की सब वस्तुओं
को जानते है, देखते दे । उनका चरित्र ऊँचा होता है|
वे अनंत शक्ति के स्वामी होते है | उनकी कुछ बाते विशिष्ट
होती है जो अतिशय कहलाती हे | वे जनता को धर्म का
` | रास्ता दिखाते हे, इसलिए पूज्य हे।
सिद्धो को नमस्कार । सिद्ध वे
होते ह जो जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाते
है। उन्हे न बुढापा सताता है. न रोग सताता है।
उन्हें किसी प्रकार का दुख नहीं होता | उन्हें परमात्मा,
परमेश्वर कहा जाता है।
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