सिद्धांत स्वाध्यायमाला | Sidhant-swadhyaymala
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
140
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीडतच्तरा ययनघ्रव-नवमाध्ययनम् (११
'अब्युद्टिय रायरिसिं, पव्बज्ञाठाणमुत्तमं । सको माहणख्वेण, इम वयणमन्यवी ॥ ६ ॥
किण्णु भी अज्ञ मिददिला, कोलाहठगसकुला। सुव्यन्ति दारुणा सद्दा, पासाएस गिद्देप्ठ य ॥ ७ ॥
एयमड्ट निसामित्ता, देऊकारणचोइओ । तओ नमी रायरिसी, देचिन्दो इणमव्ववी ॥ ८ ॥
मिहिलाए चेडए वन्छे, सीयच्छाण मणोरमे । पत्तयुप्फफलोरेए, बहूण बहुगुणे सया ॥ ९ |
बाएग हीरमाणम्मि, वेइयम्मि मणोरमे। दुहिया असरणा अत्ता, एए कन्दन्ति भो खगा ॥ १० ॥
एयमट्ठू निसामित्ता, देडकारणचोइओ । तओ नम्मिं रायरिसि, दटैविन्दो इणमन्बवी ॥ ११ ॥
एस अग्गी य वाउ य, एव उज्खह मन्दिरि। मयय अन्तेउर तेण, कीम ण नापपेक्यह ॥ १२ ॥
एयमड्ट निमामित्ता, हेठकारणचोइओ । तओ नमी रायरिसी, दे विन्दो इणमन्वयी ॥ १३ ॥
सुह वसामो जीपामो, जेसि मो नत्व किचण । मिहिलाए डज्सइमाणी ए, न में डज्सड किचण ॥ १४ ॥
चन्तपुत्तकलत्तरस, नि बायारस्म मिकखूणो। पिय न विज्ञई किचि, अप्पिय पि न बिज्ञई ॥ १५ ॥
चहु सु मणिणो भद्द, अणगारम्स सिफ्सूणों । सब्यओं विप्पप्ुकस्स, एगन्तमशुपसओ ॥ १६ ॥
एयमट्ट निमामित्ता, हेडकारणचोहओ । तओ नमी रायरिसी, देविन्दों इणमब्यची ॥ १७ ॥।
पागार कारइत्ताण, गोपुरड्धालगाणि च । उस्सलगमयग्थीओ, तओ गन्छसि यचिया ॥ १८ ॥
एयमट्ट निमामित्ता, हेठकारणचोइओ । तो नमी रायरिसी, देविन्डों उणमब्यत्री ॥ १९ ॥
सद्ध नगर फिचा, तवसतबरमग्गल) खन्ति निरणपागार, तीगत्त दुप्पवमय ॥ २० ॥
धणु पम चा, जीम च इरिय सया । पिड च केयण गिः, सचेण पलिमन्थए ॥ २१ ॥
तवनारायजुत्तेण, मिृण कऊम्मकुय । धरणी विजयसगामो, भामाय परिुचए ॥ २२ ॥
एयमछ निमामित्ता, देउकारणचोऽो । तओ नमि रायरिमि, देषिन्दो उणभन््रवी ॥ २३ ॥
पामाए् करहन्ताण, बद्धमाणगिहाणि य । बारग्गपोहयायो य, तओ गन्ति सत्तिया ॥ २४ ॥
एयमदु निसामित्ता, देऊकारणचोऽओ । तओ नमी रायरिमी, टेविन्दो उणमन्यवी ॥ २५ ॥
समय खट् सो इणः, जो ममो छुणई षर । जत्येय गन्तुभिच्छेना, तत्थ इष्येल्त सास्य ॥ २ ६॥
एयम् निसामित्ता, देऊसारणचोह । तओ नमि रायरिरपि, देचिन्दो इणम युवी ॥ २७ ॥
आमोसे लोमहारे य, मटिमेशए य तक्रे 1 नगरस्स खेम् कारण, तयो गन्छसि यत्तिया ॥ २८ ॥
एयमट्ट निमामित्ता, हेऊकारणचोडभओ । तओ नमी रायरिसी, देविन्दो इणमच्यवी ॥ २९.॥
अमइ तु मणुस्सेहिं, मिन्छा दंडो पथ॑ञ्ञः । जकारिणोऽत्थ चज्खन्ति, चर कारम जणो ॥ ३० ॥
एम निमामित्ता, दैडङारणचोऽओ । तञ नमि रायरिसि, देविन्दो इणमन्यमी ॥ ३१ ॥
जे केड पस्थिवा तुज्ज, नानमन्ति नराहिया। वसे ते टारइचाण, तओ गच्छसि स्तिया ॥ ३२ ॥
एयमड निमामित्ता, देडकारणचोडओ । तओ नमी रायरिसी, देमिदो इणमन्यवी ॥ ३३ ॥
जो मदस्स महम््ाण, समामे दृच्रए जिणे 1 एग जिणे्ल अप्पाण, एत से फमो जयो ॥ ३४ ॥
अप्पणामेव जुज्ञाहि, किं ते जुज्येण चज्सओ। अप्पणामेत्रमप्पाण, जइता सुहमेहए ॥ ३५ ॥
पचिन्दियाणि फोद्, माण माय तहैव लोह च। दुल्वय चेम अप्पाण,सव्व अप्पे निए जिय ॥ २६ ॥
एयमह निामिता, देञकारणचोहओ । वओ नमि रायरिमि, टेचिन्दो इणमन्बयी ॥ ३७ ॥
जदत्ता विउले जन्ने,मोचा समणमाहणि] दचा मोचा य जिहा य, तजी गच्छसि लिया ॥ ३८ ॥
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