वर्तमान भारतीय राष्ट्रीय परिवेश में पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के शैक्षिक विचारों का आलोचनात्मक अध्ययन | Vartaman Bharatiy Rashtriy Parives Men Pt. Deenadayal Upadhyay Ke Shaixik Vicharon Ka Aalochanatmak Adhyayan
श्रेणी : शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
294 MB
कुल पष्ठ :
407
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अनुकूल आगे बढ़ने हेतु उचित शिक्षा की महती आवश्यकता होती है क्योंकि शिक्षा के द्वारा ही समाज
में वांछित परिवर्तन लाए जा सकते हैं । इजरायल जैसे छोटे देश से हमें प्रेरणा प्राप्त करनी चाहिए ।
हमारी. दिल्ली की आबादी से भी कम चारो ओर से मुस्लिम अरब देशों से पिरा हुआ सफलतापूर्वक
सीना तान कर के खड़ा है । इसका केवल एक ही कारण है कि स्वतन्त्र होते ही उसने अपनी
पुरानी हिन्दू भाषा को ही अपनी राष्ट्र भाषा बनाया और एक हम हैं जिनके आधुनिक भारतीय शिक्षा
की आधारशिला अग्रजो के द्वारा रखी गयी धी, तथा शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन करते हुए मैकाले ने
स्वयं कहा था - “वर्तमान में हमें एक ऐसा वर्ग बनाने का प्रयास करना है जो रक्त और रंग में तो
भारतीय हों पर स्वभाव, विचारों, नैतिकता और बौद्धिकता में अंग्रेज । ताकि वे हमारे और करोड़ों
भारतीयों के बीच में दुभाषिए का काम कर सके जिनके ऊपर हम शासन करते हैँ 1 । द
द इसी आधुनिक शिक्षा के ऊपर टिप्पणी करते हुए स्वामी विवेकानन्द ने मद्रास में
अपने एक भाषण में कहा था - प्रथमतः कोई व्यक्तित्व निर्माण के लिए यह शिक्षा नितान्त
अनुपयोगी है । यह समग्रता भ मात्र नकारात्मक शिक्षा है । नकारात्मक शिक्षा या प्रशिक्षण मत्य से
भी बदतर होता है विद्यालय में प्रवेश के पश्चात बालक जिस प्रथम तथ्य से परिचित होता है वह
यह है कि उसके पिता मूर्ख है दूसरा यह कि उसके पितामह पागल है तीसरा यह कि उसके
अध्यापक ढकोसलावादी हैं और चौथा यह कि उसके सारे धर्म ग्रन्थ झूठ का संग्रह है । सोलह वर्ष
की आयु तक वह नकार् की गठरी बन जाता है निर्जीव और रीढहीन 12 `
प्रचलित शिक्षा प्रणाली की आलोचना करते हृए अर्लभाफ रोनाल्ड शे ने कहा है कि
इस शिक्षा का परिणाम यह निकला कि प्राचीन ज्ञान का लेप हो गया प्राचीन संस्कृति ओर
परम्पराएं एक ओर टकरा दी गयीं ओर प्राचीन वैदिक धर्म को यह कहकर तिरस्कृत कर् दिया गया
कि यह तो ग्या बीता अन्ध विश्वासं है 13
সপ রাজী কা পাটা দারা রাজ পাক উইং এর বা ক জা গার কাজা দার জন मि न जा आः तमि भयम क, শিস এক তা উঠ টার রা কা হক কার রর আক ধর এরা এর রা পি শপ রন পপ টার এ রগ রা রা ইত বা ঠা ওরাই ७9
1. मैकाले का विवरण पत्र 1835 व निस्यन्दन सिद्धान्त এ
भारतीय शिक्षा का इतिहास
पी.डी. पाठक पृष्ठ 87.
दैनिक जागरण 17 अप्रैल ।994 शिक्षा बनाम सरकारी प्रचार' - प्रस्तुति - दीपक बाजपेयी টি
3. सम्पादकीय, प्रचलित शिक्षा प्रणाली की आलोचना शैक्षिक प्रगति विशेषांक 1976 पृष्ठ 7... ५
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