विद्यालयीय अध्यापिकाओं में राजनीतिक विरसन प्रभावकारिता एवं सहभागिता का समाजशास्त्रीय अध्ययन | Vidyalayiy Adhyapikaon Men Rajnitik Virasan Prabhavakarita Evm Sahabhagita Ka Samajashastriy Adhyayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
77 MB
कुल पष्ठ :
320
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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शिक्षा समिति की नियुक्ति की बाबा साहेव डा भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि कोई समाज
कितना विकसित है इसका पता वहा की महिलाओं की स्थिति को देखकर लगा सकते है | उस
नजरिये से हमारा देश बहुत पिछड़ा है, यधपि सरकार ने महिलाओं में राजनीतिक जागरुकता
लाने और स्थिति सुधारने के लिए अनेक कार्यक्रम विकसित किये गये, जिसमें 'महिला विकास
कार्यक्रम” (1982-83), महिला समृद्धि योजना 2 अक्टूबर 1993, महिला समाख्या योजना,
राष्टीय महिला कोष, जवाहर रोजगार योजना के अन्तर्गत महिलाओं को 30 प्रतिशत स्थान
आरक्षित है, समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम (120?) 2 अक्टूवर (1980), में महिलाओं का
40 प्रतिशत स्थान आरक्षित है। इसके बाद भी महिलाओ की सामाजिक आर्थिक राजनीतिक
स्थिति अत्यधिक कमजोर है। इसका कारण यह है कि महिलाओं मे राजनीतिक चेतना का
अभाव है, जो किसी व्यक्ति के शारीकि एवं मानसिक विकास तथा सम्मानपूर्ण जीवन व्यतीत
करने के लिए आवश्यक समझी जाती है।
प्रायः जहां कही भी ओर जब कभी भी नारी पुरुष वर्गं की चुनौती देकर उसके
अधिकार क्षेत्र मे प्रवेश करने लगती है तब पुरुष वर्ग उसे धोधी मान्यताए गढकर
= धार्मिक राजनीतिक नियम कानून बनाकर नारी को परदे मे बन्द कर उसकी जिन्दगी को घर
की चार दीवारी तक सीमित रखकर अपने समकक्ष आने में अनेक रुकावटे पैदा करते है।
जन्म से लेकर वैवाहिक बंधन से र्वधने ओर अन्ततः चिता पर जलकर इहलीला समाप्त करर
देने तक ही सीमित रखना चाहते है । महिला आरक्षण विद्येयक संविधान मे 31 वां संशोधन
करके महिलाओ को लोकसभा ओर राज्य सभा मे 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने की बात
करता है, लेकिन पुरुष प्रधान समाज में नेता राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओ को एक तिहाई
आरक्षण देने के पक्ष मे मन नहीं बना पा रहे है। इस प्रकार सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं
राजनीतिक सभी स्तरों पर उपेक्षित महिलाओं में विरसन की स्थिति उत्पन्न होती है (जिसे
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