न्यामत बिलास [अंक 9] : स्त्रीगान जैनभजन पचीसी | Nyamat Bilaas [Ank 9] : Strigaan Jainbhajan Pacheesi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दे ~न १५] किया हित ना अहित का विच प्य । मन यव. । १। हैं जवानी गंवाई विषय भोग में । किया विषयों को तूने निज यार प्यरे। मन अब ० । २। अव्‌ तो न्यामत इपृत तज दीजिये । वस्ने अवरे बहप दिन चार प्यारे । मन अव०। ३ । (२०) ॥ चाक ॥ छमी रनेदन अभ कर ॥ दःदय्जी दौ परनाय॥ ( ये गीत ढढकी के ब्याह में गाया जाता है / | ऊमीराजरू अजकरे । ऊभीराजल अजेकरे । जानेदो जी गिरनार । माता मेरा जिया नहीं भोगों में । जाने दो जी गिरनार। माता मेरा जिया नहीं मोग में । नहीं भने में नहीं मोगों मैं । नहीं भोगों में नहीं भोगों में ॥ कोई यो झूठा संसार। ५ < ~ ~ पातामेस जिया नदी मागोमे॥ सव सास्य का पार ! माता मेरा जिया नहीं भोगों ।१॥ . उभी राजङ अजं के । कर जोड राजल अजं करे । मेरा तारे हार सिगार! टिया | क न, पके क ० । 1 9 ० 1 | { | ं ] 1 | ‡ | 1 । | ्‌ (




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