युगादिदेशना | Yugadijina-deshana

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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के रू श्री बीतरसुगाय पमः दिदेशन || साषपान्त युगादिदेशना-भाषास्तर 1 (ल ह भ्रथम उल्लास %& --8ई ण तीसरे झारे के अन्त में युगलियों की धार्मिक 'और व्यादहारिक मर्यादा को व्यवस्थित करने वाले श्रीमान आदिनाथ प्रयु भव्यजनो को कल्याण दं । मे ( सोममण्डनगणि ) अपनी श्रौर दूसरों की पुण्य भिक लिये तथा पापों को नाश करने के लिये जिस देशना से अपने पुत्रों को प्रतिवोधित. पिये ये एसी श्री ऋपमदेव स्वामी की धमेदेशना को इद॒ कहता हूँ कि.जिसके भवणमात्र से ` भाखियों के करोड़ों जन्मों में किये हुए पाप नाश हो जाते हैं ।




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