उवासगदसाओ | Uvasagadasao
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
264
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पठमं आणन्दज्क्षयणं ।
तेणं किणं तेणं समपणं चम्पा नामं नयरी दोत्था
चण्णमो । पुणमदे चेद । वण्णओ ॥ १ ॥
तेणं काङेणं तेणं समएणं अजखहम्मे समोसरिप जाव
जम्बू पञज्ञवासमाणे एवं चयासी । “ जद णं, भन्ते, समणेणं
भगवया महानीरेणं जाव संपत्तेणं छटरस्स अङ्गस्स नायाध-
स्मकद्ाणं अयमद्भे पण्णत्ते, सत्तमस्स णं, भन्ते, अङ्गस्स .
उवासरगदसाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अद्ध पण्णत्ते १”
एवं खदु, जस्वू , समणेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स
अङ्गस्स उवांसगदसाणं दस अज्छयणा पण्णत्ता । तं जहा 1
आणन्द ॥ १ ॥ कामदेवे य ॥ २॥ गादावदद्ुरुणीपिया ॥३॥
खुरदेवे ॥ ४॥ चुद्धसयपः ॥ ५॥ गाहावइ-कुण्डकोलिए:
1 ६ ॥ सदाख्पुक्ते ॥ ७ ॥ महासयणए ॥ ८ ॥ नन्दिणीपिया
१ ९ ॥ सालिददीपिया ॥ १० ॥
“ जइ ण, अन्ते, समणे्णं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अङ्गस्स
उवासगदसाणं दस अज्छयणा पण्णत्ता, पटमस्स णं, भन्ते
समणेणं जाव संपत्तेणं के अद्ध पण्णन्ते १ ” ॥ २ ॥
पवं खल्यु, जम्ब, तेणं काणं तेणं समणएणं बाणियगामे
नाम नये दोस्था। वष्णओ ॥ तस्स बाणियगामस्स नथरस्स
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