भक्त नारी | bhakt nari
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शबरी १९१
हए गम्भीर खरसे कहा कि “शबरी ! क्या त॒ नाचंती ही रहेगी ?
देख ! श्रीराम कितनी देरसे खड़े है ? क्या इनको वेठाकर च्
हनका आतिथ्य नहीं करेगी १ इन शब्दोसे शबरीको चेत इञा
ओर उस-
तौ षट च तदा सिद्धा ससुत्थाय कृताञ्जलिः ।
पादौ जग्राह रामस्य लक्ष्मणस्य च धीमरतः॥
पायमाचमनीयं च स्वं पादाद्ययाविधि ।
तमुवाच ततो रामः श्रमणी धमंखयिताम् ॥
(वा० रा० श्रा० स० ७४)
-धम॑परायणा तापसी सिद्धा संन्यासिनीने धीमान् श्रीराम-
ठक््मणको देखकर उनके चर्णोमं हयाय जोड़कर प्रणाम किया
ओर पाय आचमन आदिसे उनका पूजन किया |
सादर जल ले चरण पस्रारी ।
अति सुन्दर आसन बेठारी ॥
भगवान् श्रीराम उस धमेनिरता शबरीसे पूछने ठगे--
कथश्चिसे निजिता विघ्नाः कषित वधते तपः।
कक्चिसे नियतः कोप बाहार तपोधने॥
कच्चित्ते नियमाः प्राक्ताः कञ्चित मनसः सुखम् ।
कश्चित्ते गुख्शुभ्रूषा सफला चारुमाषिणी ॥
(षान्राग्भाग्सन०् ७४)
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