श्री धर्म्मकल्पद्रुमा भाग २ | Shri Dharma Kalpadruma Volume--ii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
300
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तृतीयसपत्नास ।- ४७६.
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सव विशोप ध्म सज्ञमधान आरस्ी के सतर विप धर्मी तपथधान माने
ग. । ईसा कारण -वणाश्रम ई सव धम्म प्रधानतः यत्ूलक्त. दै चौर
सती के सब विशेषधम्म तपोसूलक हैं । इसी कारण सन्ततिहीत्र गइस्थ
याद सन्तान का इच्छा स आधिक विवाह करे तो पह पातत न्द सक्ताः
परन्तु सतः स मनते भी पुरुपान्तर की चिन्ता करने से तत्त्णात् पततत ल.
जायगी । दशनश ने गह सिदशिाहें षि द्धी पुरूष के साथ मिलते
प्र तव पूणवा को मक्ष देती दै । इती कारण ख़ीजीब का स्रीजन्म वरावर
ह हीता रहता । जव तक बह द्वी सतीपरभं र पूर्णरीत्या पालन करती हुईं
च सतीधस्मं फे अनन्य पत्िपेम के कारण श्रपने पुरूष कौ चिन्ता करती हई
पतिजोर ( पञ्पलोक ) में पहुँचकर पति के साथ तन्मय न होजाय तब्र तक.
वह सी जन्ान्तर मे पृरषरूप होफर कदापि जन्म ग्रहण नहीं कर सक्की है |
यद पातिव्ररयरूपी विशेष पमं छी परेता दी द्वी को पुरपतन्पयता आप्त कराः.
कर, उसको जन्मान्तर में पुरुप शर्रीर प्रदान कराती हे । इस एरपतन्मयत्ता-
रूपी सतीधम्म के विरुद्ध जो जो आचार स्री करेगी उनसे वह अवश्य ही
पतित दोजायगी । पुरुप जिस मकार बहु ल्ली संग्रह कर सक्का है उसी प्रकार
खी यदि पुरुपान्तर ग्रहण करने क्री इच्छा करे, पुरुष जिस प्रकार स्वाधीन
रूप से जोवनयात्रा निवाह कर सक्का हैं उसी प्रकार ख्री यदि स्वाधीना व
स्पेच्छाचारिणी होजाय तो वह अवश्य ही पतिता होजायगी । इससे यह.
तिद्ध हुआ कि पुरुष का विशेष धस्मे उन्नत होने पर भी यादि ख्री अपने बिशे--
पपरस को छोड़कर पुरूष के विशेपधम्मं के पालन करनेमे तत्पर हो तो वह
अवश्य हीं पतित्ता व पापग्रस्ता हो जायगी । इस प्रकार से विशेष विशेष
अधिकारी वहि अपने अपने विशेष विशेप अधिकार के अनुसार विशेष
धर्म्मों का पालन न करके झन्य के अधिकार में चलने का अभ्यास करेंगे. .
तो अवश्य दी पतिते हो जायेंगे | केवल विशेष विशेष अधिकार के श्रतुसार
विशेष धम्मे के पालन करने से. ही मनुष्यों की अविरुद्ध उन्नति होसक्ली- हे.। -
वेदोक्त सनातनधंम्मे के अतिरिक्त जितने घम्मंसब्यदाय, घम्मेमत, धर्स
पन्थ ओर उपधम्भं आदि जगत् में अचलित हैं वे सब झसमस्पूर्ण हैं । उन
में साघारणघम्म के ब्रिज्ञान को रहस्य मकट नहीं है श्र न उनमें विशेष
धर्म की महिमा मकट हुई है। आार्थ्यशाख्र के अनुसार सनातनपर्स्पं इश्वर
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