कैन्सर परिचर्या एवं शोध सोसाइटी (रजि.) सुजानगढ़ (राजस्थान) | Cancer Paricharya Avam Sodh Society (Reg.) Sujangarh (Rajasthan)

Cancer Paricharya Avam Sodh Society (Reg.) Sujangarh (Rajasthan) by विभिन्न लेखक - Various Authors

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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~. ५ एतिहासिक सयोग माच दहै । कहा जाता है कि एक रोमन सम्राट केटो की रानी के स्तन कंन्सरहो गया था श्र उसने ज्योतिप के राशि स्थान के घ्ननुसार इसका नामकरण किया था । केटो चिकित्सको से नफरत करता धा श्रौर पत्तागोमी को हर रोग का श्रचूक इलाज मानता था ग्रौर पत्तागोभी के पुल्टिस से उसने श्रपनी रानौ के स्तन कैन्सर का इलाज कर लिया था । राशिचक्र कौ चौथी राशि ककं को केकडे के रूप मे चित्रित किये जाने के सम्बन्ध मे एक पौराखिक कथा यह है कि जव हेराकल्स लेरनाइन हाइड़ा से युद्ध कर रहा था तो केकडे ने उसे चिकोटी काटी । क्षुव्च हेराकल्स ने केकडे को कुचल दिया । हेराकल्स के शत्रु हेरा ने केकडे को राशि मण्डल मे स्थान देकर पुरस्कृत किया । न सोचा जाता हैं कि ग्रपने दस पजो से केकडा बडी जबरदस्त पकड करता है क्या केकडे की तरह जवर्द॑स्त पकड के साम्य श्र केकडे के दस पैरो की तरह विस्तार श्रौर प्रसरण की क्षमता के कारण इस रोग समूह्‌ का नाम केकडा (कंन्सर) पडा। इसा से 600 वपे पूवं के भारतोय सजेन सुश्रुत ग्रौर 180 ईसा पूर्वं के ग्रीक सजन लियो- निडास द्वारा उच्छेदन भ्रौर प्रदाहन विधि द्वारा इस रोग के इलाज का उल्लेख मिलता है । अरबी भाषा मे इसे सरतान कते है । हजारो वपं पूर्व प्राक्‌ एतिहासिक पशुश्रो के भ्रस्थि पजरो के परीक्षण मे उनके अस्थि कंन्सर होने के प्रमाण मिले है । 3 बिश्व-कोष >€ वहुत बडे पैमाने पर की गई शोध के वावजूद कंन्सर अब भी एक श्रल्पज्ञात श्र कठिन रोग है । कंन्सर क्या है? यहं एक बीमारीदहैया श्रनेक बीमारियो का समूद ? इसके उत्पर करने मे कीटाणुओ, जैसे कि विपाणुश्नो द्वारा क्या पार्ट खेला जाता है * यह प्रष्न बहुत वडा है गनौर श्रभी तके इसका सतोपजनक उत्तर नहीं मिला है। इसलिए वर्तमान मे हम कंन्सर के वारेमे जो कुछ भी कह सकते है, वह केवल प्रस्थायी ही माना जाना चाहिए श्रौर हो सकता ह कि झाने वाले कुछ वर्पो मे कैन्सर सम्बन्धो वतमान धारणाये उतनी ही ्रसत्य सिद्ध हौ जितनी श्राज से 50 वर्ष पूर्वे के लोगो की रिकेट्स या मधुमेह के बारे मे थी । कँन्सर एक प्रकार की नवीन वृद्धि हूं और ऐसे ही हैं दम्य ट्यूमर । स्वस्थ अवस्था मे शरीर के श्रस्थि जोडने वाले ऊतक, श्लेप्मकला श्रादि विभिन्‍न ऊतकों की बढोतरी ऐसे नाजुक,




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