सुबोध जैन पाठशाला [भाग १] | Subodh Jain Pathshala [Part 1]

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Subodh Jain Pathshala [Part 1] by पारस मुनि - Paras Muni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ॐ रमो राणस्व £ पाठ १ पहला नमस्कार मन्त्र रासो श्ररिहंतारं , सासो सिद्धारं, रामो श्रायरियारं 1 रणमो उवज्छायाणं, रमो लोए सब्व साहूरणं 0 १॥ एसो पंच... नमोक्कारो, सब्व-पावृ-प्परासरो । संगलाखं च सर्व्वेद्धि, पढमं हुवइ मंगलं ॥२॥ राव्दाथं : पाच पदो को नमस्कार १. रमो = नमस्कार हौ । श्ररिहंताणं =श्ररिहन्तो को । २ शमो = नमस्कारहो। सिद्धाणं=सिद्धोको।! ३ रमो नमस्कार हो! श्रा्यरयाणं =ग्राचार्यो को। ४. रमो नमस्कार हो । उवज्भायारणं > उपाध्यायो को । ४५ रासो -- नमस्कार हो\ लोए~लोक मे रहै हुए \ सव्व सव साहूणं = साधृग्रो को 1 नमस्कार फल एसो = यह्‌ ! पंच पांच \ मोक्गारो = नमस्कार) सव्व = सब } पावप्पणासरणो पापो का नाद्च करते वाला है। च-श्रौर।




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