कॉपर्निकस | Kopnikas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
80
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
वज़ीर हसन आव्दी - Vazir Hasan Aavdi
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श्री मुंशी - Sri Munshi
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उसे ठेसा लगता मानो जहाज नही, बल्कि जमीन का
वह टुकडा, जिस पर वह बैठा है, खुद चल रहा है |
कभी-कभी गर्मी के जमाने में घर के सभी लोग
शहर से वाहर शाम को टहलने के लिए जाते । यहाँ
अंगूर की बेले दूर-दूर तक फेली रहती और बच्चे मौका
पाते ही बेलों के नीचे दौड़ने लगते । निकोलस लताओं
के बीच से चाद की किरणों को आता देख कर आनन्द
मे भर उठता । अपने भाई देण्ड्यू को वहु किरणें
दिखाता । कभी-कभी वह् रुताओ के नीचे से चांद के
निकलने का इन्तजार करता रहता ।
इस परिवार को तोरन नगर के बड़े-बड़े परिवारों
से मंत्री थी । कभी-कभी जब बडी दावते होती तो सभी
परो से सेकड़ो बच्चे जमा हो जाते । ये बच्चे अपने'
घरो मे जो वाते सुनते उन्हीं के बारे मे आपस मैं
कानाफूसी करते । बडे-बूढे तो खाने-पीने और हंसी-
मजाक भे ऊगे रहते, लेकिन बच्चे शहर में होने वाली
वे सारी वाते एक-दूसरे को बता देते जो वड-वूढे एक-
दूसरे से छिपाया करते ।
निकफोलस को एेसी दावतो मे बडा मजा आता |
उसे दुनिया भर पी बाते सुन कर बडी खुशी होतो । वह
रन सप बातो के बारे में बरावर सोचा करता और
श् # २ १ 9
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