बाप बेटा | Baap Beta

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Baap Beta by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
२१ हौ, तुम्दि स्वागत में मेरे लाटले ! श्रपने समस्त वमव से पूर्ण ह यह वसन्त । फिर भी सै घुश्किन से सहमत हूँ; तुम्दें यूजीन झोने- गिन का चह हिस्सा याद दे भग्नो बसन्व, श्रो प्रेम की बेला, तेरा झागमन कितना दुखद ज सेरे लिए । क्या---) “'छाफै'डी ” टमटम से चैजारो की झावाज भाद । “जरा दिया- सलाई तो भेजना, पादप जलाने को मेरे पास कुछ भी नहीं ।”* निकोलाई पैदरोविच सुक गया, 'आाकेडी ने जो उसे सहानुभूति मिश्रित ध्राश्चयै से सुन रदा थाजेश्र से चांदी की दियासलादई री “डिपरिया निशात और प्योतर के हाथ वैजारोव के पास भेजी | ` भव्या तुम्हें चुरट चाहिए ?”” बेजारोव ने फिर चिल्लाकर पूछा । “नेकी श्र पूछ पूछ,” ध्याके डी ने उत्तर दिया 4 प््रोतर दियासला भौर एक मोरा काला चुरट लेकर वापस ष्या जिसे ्ाकरष्डी ने उसी समय जला किया, यौर रेखा गादा, घना; तीखा घु था छोड़ने लगा कि निकोन्नाई -पेट्रोचिच ने, जिसने अपने * जीवन में कभो तम्बाखू नहीं पी थी, झपनी नाक चुपचाप उधर से , हरा न्नी ताकि उसके बेटे की भावनाओं को ठेस न लगे । ॥ पद मिनट मं ही गादिर्यो लकौ के नए बने सकान की सीढ़ियों. - के पास जाकर रुक गई । मकान भूरे रंग से पुता डुश्रा था, श्रौर उसकी छा म सोदे की लाल 'चद्दरें लगी हुई थीं । यह मैरिनो था, जिसे नया .. सुरवा, मा फिर किसानों के शब्दों में निर्जन फामे भी कहा जाता था ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now