बादलों की गोद में | Badalon Ki God Men

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Badalon Ki God Men by कृपा शंकर शर्मा - Kripa Shankar Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १) कवि वही, जो बादलों की गोद मँ दिन रात सोता | वादलों के खींच रेशे, भाव सम कोमल बना के, काव्य का जो रूप लादे, कवि वही, जो बादलों के संग उड़ता, और ऊँचा ! कवि वही, जो बादलों की गोद में दिन रात सोता | धूल जो खाता धरा पर, तोडता तारे गगन पर, झाँकता आकाश में वह, कवि वी, जो बादलों के संग हंसवा आर रोता ! कवि वही, जो बादलों की गोद में दिन रात सीता ¦




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