अमरप्रकाश | Amaraprakash

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भमरप्रकाण । ट वा तिरस्कार किथागया वा घिक्ारा गया - दूँ । प्रधित्यका (स्त्री ) पवेत के ऊपर की भूमि । अधिपः (पुण) प्रमुवा स्वामी । अधिभूः ( पु० ) तथा । भधिरोक्चिणी (स्त्री) काष्ट इ- त्यादि की सीदी। अधिधासनम्‌ ( नपु) वस्त्र वा ताम्बूल इत्यादि को गन्धद्रव्य से सुगन्धित करनावा वासना इसको सोरभाधानः भी कष्- ते हैं। प्रधिवित्रा (स्त्री) कतसापत्निका में देखो । अधिश्रयणी ( स्त्री ) चूल्हा । परधिष्ठानम्‌ ( नपु° ) पडिवा, न्‌- गर, अक्रमण वा अमल में कर लेना । अधीन ( चि० ) (नः । मा । नम) परतन्त्र बा परवश । भधीर ( बि० ) (रः। रा । रम्‌) कादर | अधीश्वरः ( पु० ) सब दिशा के राजे जिसको प्रणाम करें ऐसा राजा | श्रधुमा ( भ्रव्यय' ) दूस घडो । अध (चरि) (्टः।श। म्‌) भो ढीठा वा दीदी नदं भर्यात्‌ लज्जायुक्त । भधोक्षजः ( पुं० ) विष्णु । अधोगन्ठ (चि०) (न्ता । न्ती। न्ह) (चि०) नीचे जानेवाला = ली, ( प°) मृसा । प्रधोमुवनम्‌ ( नपुं° ) पाताल । भधोमुख (चरि) (खः।खी। खम ) जिसका सुख भीचे हे । भधोएकम ( नपु° ) प्डिरमे कौ धोती । अध्यक्ष ( त्रि० ) (त्तः । चा ।धम्‌) (चि०) भधिकारी, निगहमानी कंरनेवालान ली ( नपुं० ) प्र व्यत्त ज्ञान, ( च्ि० ) प्रत्यक्ष दान का विषय । प्रघ्यवसायः (०) उत्साह, मि- शय, उद्योग । श्रध्यात्मम ( भरव्यय ) भात्मा के भीतर । अध्यापक ( चि० ) (पकः पिका। पकेम ) पदाने वाला = ली । अध्याहारः ( प° ) तकं । भअष्युटा ( स्त्री ) कतसापतिक्रा में देखो । भ्रष्येषणा (श्त्री) रुरु श्ध्यादि का सेवनं वा उनको प्राथेना से कीईे प्रयोभन में लगाना ।




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