रेत और झाग | Ret Aur Jhag
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रेत अर फाग
इन समुद्र-तटों पर मैं उनके रेत श्रौर भागों के बीच सदा
के लिए चलता रहूंगा । निस्सन्देह समुद्र का चढ़ाव मेरे चरण-
चिह्लॉं को मिटा देगा श्रौर हवा समुद्र के कागों को उड़ाकर ले
जाएगी, परन्तु यह समुद्र धौर उसका तट सदा के लिए-श्रनंत
काल तके कै लिए-रहैगे 1
©
एकं नार मैंने अ्रपनी सुट्टी कुहरे से भरी । फिर जो उसे
खोला, तो कुहरे को एक कीड़ा बना पाया ।
मैने दुबारा मुदरी बंदकीश्रौर सौली, तो वहां कीड़े की
जगह एक चिड़िया थी ।
फिर मैंने उसे बंद किया श्रौर खोला, तो मेरी हथेली पर
एक श्रादमी खड़ा था, जिसका चेहरा छोकातुर था श्रौर हृष्टि
ऊपर की तरफ ।
अन्तिम बार मैंने फिर मुट्ठी बन्द की आर फिर जो उसे
खोला, तो वहां कुहरे के सिवाय कुछ भी न था ।
परन्तु इस नार मैने एक श्रत्यन्त मधुर श्रौर रसीला गीत
सुना । ।
® # 1
कल तक मेरा विचार था कि मैं एक सूक्ष्म टुकड़ा हूँ, जो
श्रनियमित रूप से जीवेन के घेरे मे चक्कैर लगा रहा है । पर
‡७;
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