मुक्त द्वार | Mukt Dwar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : मुक्त द्वार  - Mukt Dwar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हेलेन केलर - Helen Kelar

Add Infomation AboutHelen Kelar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
सूरज की किरनों का वैभव अनुभेवं ¦ ' करने के छिए अपने हाथ पसार दो । कोमल कुखुमो, को- कपोलों पर ठगाओ और उनकी बनावट की शोसा, आकार की नाजुक परिवर्तनशीछता, . ताजगी और लचक को अंगुलियो से समझो । शूत्य को बुद्दारे रहने वाले पवन के झोको को चेहरे पर चेरे ओर आकाश के धट पियो, हवा की अनथक हट्चर को विचारो । पानी के प्रपातो ओर अनत शाखा पर के पातो से बह कर आनेवाटे परस-पावन सवादी स्वरो की परतो पर परते अपने प्राणो मेँ पुजीभूत करो । जब तकं स्पर्श अनुभव करने की यह मावभरी शक्ति अपना काम करती है तब तक हमारी दुनिया छोटी कैसे हो सकती है ८ मैं भरोसे से कह सकती हूँ कि अगर कोई देवी मुझसे आकर देखने और छूने की शक्तियों मे से एक चुनने को कहे तो मैं मानव के हाथो की ऊष्मा से भरे रूप के धन, हथेली पर आ लगने वाले चंचछ और भरे-पूरे आकारों का प्यारा स्पर्श-सुख छोड़ने कौ तैयार नही हूँ । €> पद्रह €




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now