अनन्तर | Anantar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : अनन्तर  - Anantar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जैनेन्द्र कुमार - Jainendra Kumar

Add Infomation AboutJainendra Kumar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
कहकर मैंने पास का बटन दराघा । पराजिता ने कहा यह बया श्रादत है भारत में कि हर वक्‍त खःनिर जरूरी है । बेवक्त खान-पान भी क्या खातिर है ? डे तुम भारत की दो ब्परा फिर कितनी थी बहादुर श्र होशियार हो यह भूलना नहीं गुरु श्रानन्द माधव ने कहा फिर स्त्री हो ॥.. नहीं दे खास होना है ? ६/ युरु ने ही कहा नहीं खास नहीं है । इसलिए स्त्री चाहे बहादु हो. नमन तो होती ही है। चुन परी दी ही में हो सपरा प्रनाद बासठ नवां पात्त कसर त्ाइई । दग्बत दी द्ातस्द गु हू ?--यह भपरा है। विलायत में लादी को श्राद्ध वर्ष निभाकर श्रोर श्रभी तलाक जीत कर न्नाई है / पकरकक.. ०५. ७०. ०३. बाजी एि रामेव्वरी ने अ्रपरा को तनिक सा नमस्कार किया ग्रौर पुछा क्या लीजिएगा । चाय लीजिएगा या कुछ ठंडा ? छोड़ो-छोड़ों रामेदवरी तकल्लुफ छोड़ो गुरु ने कहा आय ठो ।-असाद न हमारा श्रनुरोध नहीं रखा है श्रौर ने रीताल जाना सोचा है । श्रब तुम्हू झ्पनी सहायता के लिए मैंने बुलाया है । तो घन्टी मेरे लिए मालिक साहव ने नहीं की थी कहक£ रामेदवरी हंसी कहिए उनके खिलाफ मैं कया सहायता कर सकती हूँ ? मैंने कहा व सही चाय दवंत तो चलेगा । रामी--ृ1 श रामेइवरी उठने को हुई ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now