अथर्ववेद स्वाध्याय | Atharvaved Swadhyay

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Atharvaved Swadhyay  by श्रीपाद दामोदर सातवळेकर - Shripad Damodar Satwalekar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ई स्‌ क म ज जा ८५० कतिक ज > न ~ ~ ए) शक १] झध्यात्म-प्रकरण । १६ 29, व €< <€ €< € € €< €< €< <€ €€ <€ €€€<€55<€65€6€€€6 5595 *)35 29923999 93993 593609355533ॐ 1 आ त्वां रुरोह वृहत्यूत पद्धिक्तरा कंडब्‌ वचसा जातपेद्‌; । आ त्वा ररोदोण्णिहाक्षरो वषट्कार आ तवां स्रोह रोहितो रेत॑सा सह ॥ १५॥ अयं चैस्ते गभे प॒थिन्या दिव वस्तेयमन्तरिधम्‌ । अयं चधस्यं विष्टपि स्व शकान्‌ व्यानशे ॥ १६ ॥ वाचस्पते पृथिवी न॑ःस्थोना स्योना योनिसतल्पां नः सुरोवां । इरैव प्राणः सख्ये नो अस्त तं त्वां परमेष्ठिन्‌ पयभिरायुषा चसा दघातु 1 १७॥ अथै- हे (जातवेदः) सव उत्पन्न हृएको जाननेवाले ! (त्वा वृहती आ रुरोद) तुझपर चहती चढी है, ( उत्त पंक्तिः आ, ककुब्‌ वर्च॑सा आ ) पंक्ति और कङुव अपने तेजके साथ चडे द 1 ८ उष्णिदाक्षरः त्वा आरुरोद्‌ ) उष्णिक्‌ दके अक्षरथी तेरे ऊपर चडे है तथा (रोहितः रेतसा खद ) सूय अपने चीयेके साथ है ॥ ९५१ ( अयं पथिव्याः गर्म वस्ते ) यह पथिकीके गर्भमे वसता है (अर्यं दिदं अन्तरिश्चं चस्ते) यद्‌ द्युलोक ओर अन्तरिक्ष रोक्मे वसता है । (अयं ज्रध्नस्य विपि स्वलोकान्‌ चयानसे ) यद्‌ प्रकारलेक्के रिरोभाग- पर स्वगैल्योकमें च्यापता है ॥ १६ ॥ दे ( वाचस्पते ) वाणीके स्वामिन्‌ ! (नः पृथिवी स्थोना ) हसारे लिये पृथिवी सुखकर होवे! ( योनिः स्योना ) दसारे चयि हमारा घर सुखदायी 1 ( नः तत्पा रोवा ) दमारे व्यि विछोने खुखदायी हों । ( इह एव खख्ये पाणः अस्तु ) यदाद दमारे खख्यमे प्राण रहे । हे परमेष्िन्‌ ! तं त्वा अप्निः आयुषा च्चेसा परि दधातु ) वुद्चको यद्‌ आभि आयु ओर तेजसे धारण करे 1 १७ ॥ >“ ८ <९५/ ४ 4 भावाथे- हती, पंक्ति, कडद्‌, उप्णि्‌, वपद्फार आदि सव उसी एक देव का चणेन कर रहे हैं, मानो वह इनमें रहा है ॥ १५ ॥ एक देव पृथ्वी अन्तारिक्ष और दूयुठोक के अंदर विद्यमान है। यह दूयुलोकके उच्च स्थानपर रहता हुआ सपमें व्यापता है ॥ १६ |! हे चाणीके स्वामी ! हमारे लिये पृथ्वी, घर. घिछोना आदि सब पदार्थ सुख- दायक हों । हममें राण दीधेकारुतदः रहे और हमें चह दीव आयु और तेजके साथ प्राप्त हो ॥ १७ ॥ ६९ €€स९399३९€€८९€ सर सससू€ सससससससस93993393€स€€ 9333 3933 3333 #%%३3 39337] 9383938329%99 99%939839399%999%392829982929899829982099%992832239%92982292899223999822922529839909 हल




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