भारत की दशा | Bharat Ke Dasha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)~ भारतकी दा `. - (१९)
से भकारे भा-जौर देख तू कहां जा-रहा है-अपने आदर्च॑से कितना
गिर गया है-जिस धरम्पके- स्यि हमारे पूजानि अतुंखनीय त्याग -किया- _
अपने प्राण होम दिये -आजीवन पवतो, गुफाभ ओर. जङ्गलोकी राख
छानी, वही धम्म आज खीभक्त स्वाथ पुजारी-पेटाधिरयोकी -इन्द्ियकिप्
व्यभिचारियोंफ सामने हाथ जोड़े खड़ा है-सत्य और धम्मेंका सचमुच
खून किया जा रहा है, और हम अधर्म्मंको घर्म समझ गवसे फूछे नहीं
समाते हैं । जिस तरह बरसातमें कीड़े मकोड़ों और मेढकोंकी संख्या
वृद्धि होती है-उसीप्रक्वार हमारे देशमें इस कछिकालमें नकली साधुओं,
'मंहात्माओं, .सतोंकी और भिखारियाकी भरमार हो रही है-एक अक्षर
_ पढ़े नहीं-बीसतककी गिनती जानते नहीं-बाप दादोंसे बेईमानी मक्कारी
रौर जालसाजी विदवासघातीसे पेट भरते आनेवाठे अपने माता-पिता-- :
धर्मगुरुओसे द्रोद कर अपनेको धर्मगुरु मकारा करके स्वभ पूजते पुजातिसे
बंनरहे हैं। के
- है विदवंभर कालीविश्वनाथ ! जगत् पिता-विश्वके आधार तुम्हारी
'जय होय, दादाजीमद्दाराज आपकी जय होय, हे' कालोंके कारू महकाल
-जापकी जेय होय, सप्त पुरियोँमे श्रेष्ठ काशीपुरी, उज्ञेनपुरीके उपस्थित
हिन्दूमण्डल-पंचगौड़-पंचद्राविड़ “ब्रह्म जानाति ब्राह्मण” वणेधम्मेवर्ण-
आश्रमी प्रेमी समाज, मनुष्यसमाजके सनातनी विद्वानों सुझ पागलदादा-
द्रबारके एक विदूषक कुत्तेकी भीं मौपर, कुछ समयके लिये कोयरोंकी
'कूक और हूंसॉकी किछोडोंमें कौवेंकी कांव कांवकी इस ओर ध्यान हैंगे.।
` ~~ सारतके भारतियोंने-उपस्थित सज्जनोंने सांइखेड़ेवाले दादाके नामकों
` अवश्य सुना होगा ( एक वैसे उजेनमे ही उपस्थित हैँ ) यह कौन हैं
` वेदी जने, रोकोक्तिसे परमहंस, भवधूत, , योगीधूनीवाङे दादा छष्णा-
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