हमारे गांव का सुधार और संगठन | Hamare Ganvo Ka Sudhar Aur Sangthan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
578
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चेकारी का इलाज
१. चेकारी की मयानफता
नहि कश््चित् क्षणमपि जातु तिप्ठत्यपामंकत् ।
कार्यते हचवशञः फम॒सर्वः प्रपुतिजर्गृणः ।॥ ,
- गीता 2-५
एक क्षण भी कोई विना को कर्म किये नहीं रह सकता । हरेगर गयी
प्रकृति के गुणों से वाध्य होकर कोई-न-कोई वर्म यरना ही पड़ता हैं ।
जब प्रकृति ऐसी जवर्दस्त है कि कोई बिना कर्म किये रही नहीं सकता,
तो जिन लोगों का रोजगार छीन लिया जायगा वे अपने बेकारी के समय
में भला या बुरा कोई-न-कोई काम ज़रूर करेंगे । भारतवर्ष की विसानों
और मजदूरों की इतनी भारी आवादी में जहाँ शिक्षा के सुभीते विट
कुछ नहीं हैं, यह आया करना व्यथं की कल्पना ह कि वेकार जनता
अपने वेकारी के समय को अच्छे कामों में ठगायेगी । साधारण जन-
समुदाय अपने वचे हुए समय को संसार के किसी भाग में कहीं भी अच्छे
कामों में नहीं लगाता । यह विलकुछ स्वाभाविक वात है । भारत की
जनता इसका अपवाद नहीं हो सकती । जब उसके पास कोई काम नहीं है
और वह भूखों मर रही है तव उससे कोई बात अकरनी नहीं है । इस
वेकारी का हमारे देश पर भयानक परिणाम हुआ हैं। संसार के अन्य
सम्य देशों में जब कभी बेकारों की गिनती हजारों और लाखों में पहुँचती
है तो उसी समय देव-भर में उथल-पुथल मच जाती है, सरकार वरद
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