प्रायोगिक कार्यानुभव | Prayogik Karyanubhav (sikho-kamao)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
292
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कार्यानुमव दे
करने की कोई कल्पना नहीं है भ्रपितु उत्पादक को वैज्ञानिक विधि से करने के
लिए पर्याप्त झावश्यक शाद यथा स्थान तथा यथा स्तर देने की व्यवस्वा करनी
चाहिए ।
(२) कार्षानुभव त्तया हस्त कला--
हस्तकला शिक्षण के भन्तर्गत दिसी हस्तकला विशेष के सिद्धात तथां श्रयोग
सिखाये जाते हैं । इस प्रकार हस्तकला में छात्र का प्रशिक्षण भ्रघिक क्रमबद्ध
एव एक विषय तक ही सीमित होता है । इसके विपरीत कार्थानुमव किसी हस्त-
कला विशेष थी क्रमवद्ध शिक्षा नहीं है । कार्पानुमव में हम्तकला भी हो सकती है ।
(३) कार्यानुभव एव प्रिय व्यापार--
प्रिय व्यापार व्यक्तिगत एव प्रनु-पादित होने ई वरच् भ्रानन्दानुभूति प्रदान
करते है । इसके दिपरोतत कार्यानुभव का स्पष्ट भ्राग्रह् उत्पादन परही दोना)
(४) कार्यानुभव तथा समाजतेवा--
समाज सेवा से स्थानीय सस्था, समुदाय की सेवा हो सकती है भ्रौर उनके
व्यय में बचत की जा सफती है । वार्यानुमवं मे मी समाज मेवा की स्थाई प्रवृत्ति
सी जा सकती है। कार्यानुभव का भूल उईश्य शािक है ।
चिखिष्टलाप्य -
(१) कार्यानुमव उत्पादन की वैज्ञानिक दिधि सीसना है ।
(२) बार्यानुमव में सुल भाग्रह उत्पादन पर होता है 1
(३) कार्यानुमव मे णारीरि श्रम एवं स्वावलम्दन ध्रावस्यक होता है ।
(४) कार्यातुमव में स्वय प्रेरणा होती है ।
(५) कार्यानुमव मे कमारो श्ौर सीसी वाली मादनः वर्णतः प्रिलक्षित
होती है।
(६) कार्यानुमव पुरोगामी है ।
(७) मे शिरा बा प्रस्तरण भ्रग माना है ।
परिच्ीस्नासे-
(१) लिका पड़ी श्रादि कायं नार्यानुमव बे नदीं भराति है ।
(२) कार्यानुमव स्वेच्छानुसार लादता नही बाहिषु ।
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