मन की बातें | Man Ki Baten

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Man Ki Baten by विनीत गुलाबराय - Vinit Gulabray

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२ मनोधिर्लेपण-शास्त्र के प्रमुख सम्प्रदाय च्यापक प्रभाव मनोविदरेपण शास्त्र वे सिद्धान्त यद्यपि पुराने हो गये हैं तयापि आज के नित्यजूतनताप्रिय ससार में भी वे श्रपना मावपण सौर प्रभाव बनाये हुए हैं । घ्राजकल भी फ्रॉयड के नाम की दुद्दाई दी जाती है। रचनात्मश साहित्य, विशेषकर उपन्यास गौर प्रालोचनात्मक साहित्य दोनो ही इससे प्रभावित हैं । विकासवाद की भाति मनो- विश्लेपण शास्त ने भी झ्पने युग के विचारों में उयल पुथल सचा पदीहै। ” इतिहास यह वह मनोविज्ञान हैं जिसका उदय शुद्ध मनोविज्ञान से नहीं 'वरन्‌ चिकि्सा शास्त्र से हुआ है । प्रारम्भ म इसका सम्बन्ध मेस्मे रिउम (मेस्मर साहब का चलाया हुमा सम्मोहन सिद्धात्त जिसके श्रनुपार कृषिम निद्रा को अवस्या में मन पर प्रभाव डाला जाता है ) भर हिप्नोसिस ( सम्मोहन या कृत्रिम निद्रा ) से रहा हूँ । फॉस के कुछ डापटर, जैसे चैरकीट जेनंट प्रमृति हि्टीरिया, स्नायुविक्ता, ्रवियादि मानसिक रोगों की चिक्ट्सा सम्मोहन विया के सहारे किया करते थे । मे लोग सम्मोहनजनित निद्रा की अवस्था में रोगी पर श्रपने सुभावो द्वारा इस प्रकार के प्रभाव डाला वरते थे कि उसका पिछला दूपित इतिटास सव घुषकर साफ हो जाया बरता था श्रथवा वह्‌ रोग मुक्त हो जाया करता था । इस प्रकार के भावी से रोगी प्राय श्च्छा भी हो जाता था । फ्रॉयडद (जन्म ई० सन्‌ १८५६) ने पहले-पहल फ्रास में जावर उस




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