वन्ध्याकल्पद्रुम | Vandya Kalpdrum
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
93 MB
कुल पष्ठ :
1352
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामेश्वरानन्द जीवानन्द शर्मा - Rameshwaranand Jeevanand Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)९६. वन्ध्याकत्यहुम । +,
व
¶ घीमा इनके पानीको देवे खटार्ईका देना हानिकारक रै, ठेकिन जो रोगीके गछेम
\ खुरखुरापन होय तो खट्टी चीजें कदापि न देवे । और जौका सत्तू जुढाबकी दवाके
2 साथ पिछावे और बाकी वहीँ उपाय हैं जो कि फेफडेकौ रक्षाके विपयर्म ऊपर चिति
* गये हैं । इस बातका ध्यान रखे कि खसरेमें तुरंजवीनका देना निषेध किया गया है ओर
4 हकमलोग कहते हैं कि खसरेगें तुरंजवीन देनेसे ऐसी हानि पहुँचती है कि जैसे .गर्म प्रकृति- :
१ वालेको शहदके देनेसे हानि पहुँचती है और घबराहट जी. मिचलाना और
५ वेचैनीको बढाता है | इसी प्रकार बनफशा जर इककर्पेचका पानी देना खसे ¢
वर्जित हे क्थोंकषि इसमे मी जी मचछाता है और घबराहट उत्पन होती है ।
आरोग्य मनुष्य जो इस म्जसे बचना चाहें उनको हिदायत ।
आरोग्य सनुष्योकों उचित है कि इस रोगसे वचनेके छिये सावधान रहें साव-
‰| घानीसे रहने पर जो चेचक और खसरा निकले भी तो बहुत ही कम निकछता है |
ओर जव जिस शऋतुमें चेंचक और खसरा उत्पन्न होनेक चिद दढ जायि तो जो ठडके
्डकी तीन जौर १४ वर्धकी उमरे दर्भियानम होय अर कमी उनके जन्मे ठेकर
चेचक ओर खसरा न निकटा होय तो उनका फम्द॒खोठे ( मगर जो वालक १२ |
(1
प
ष्टः
स्ट,
सारसे उपर होय उसकी फस्द खोरे ओर जो वारह स्मरते नीची उमरका होय
उसके पछने छगाकर रक्त निकाल देवे और इस ववाकीं फसल कै रही हाय तो
¦ & जीर १९ वैकी उमरे दर्ियानके वाख्कोके शरीरम जोक जहां तहां छगाकर
‰ थोडा खून निकाले और इस बवाकी मौसममें सब मलुष्योंको सावधान रहना चाहिये
5 ठंढे भोजन तथा ठंढे शरबत्त जैसे कि शरवत उन्नाव, सिकंजर्वान नीबू, इंसबर-
5 गोल, बूरा कन्द गाजरका शरबत, वंशलोचनकी फेंकी, कापूरकी टिकिया इत्याठिका
‰ खाना छामदायक है । और जिस मौतममें चेचक निकलनेकी फसठ दोय उन दिनेमिं ¦
4 चढत जवानीके डके लडविर्योको जिनके चेचक ब खसरा जन्मसे न निकटा होय ¢
.4 उनको दूष, मिठाई, शराव, मांस, वैंगन आदि गर्म भोजन और गर्म भेवाओंसे बचना
मु चाहिये, जो कि खूनेको बढ़ाकर जोदा पैदा करती हैं | जैसा कि छुद्दारा, खरबूजा,
५ लिन का चर अंगूर इत्यादि खाना चन्द् कर द्व 1 इसी प्रकार परिम,
५ कसरत, ग, धूप, आगसे तापना, गर्मी, खाक, धूलसे वचना वन्द् पानके (
न बचना चाहिये और कमी सर मेवाओंके पानी तवीयतको नमं रखे और
५ तवीयतमे मरनणं न होने पावे ठंढे शाक ` जीर खट्टी चीजें छामदायक हैं | मांसको
4 > लटा और हरे 'शाक मिछाये ब्िदून' न खाना चाहिये ।
4
4
के |
श्यै
न्न्फरन्छनन्
ध
-वशरोचनकी टिकिया विधि !
फखवके प्रर, चूक
कनन
के बीज प्रत्येक ३ मसे, अरनी निशास्ता, वंशलोचन
User Reviews
No Reviews | Add Yours...