रंगनाथ रामायण [भाग-1] | Rangnath Ramayana [Bhag-1]
श्रेणी : धार्मिक / Religious, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
502
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३)
आश्चयं से भर जाता हू और धीरे-धीरे वह् उस श्ापिति-संपप्र प्यपित फ मटृत्व फी
अनुभूति फरपे लगता हूँ। उसके उपरात उसकी प्रधसा फरने णौ च्छा सट्न ही उतकफे
मन में जागरित होतो हं 1 महान् व्ययित फो प्रपात्ता एरने फ यह् एच्य ही नप्तिफौ
पहली सीटी हुं । रगनाथ रामायण पे प्रतिभावान् रचयित्रा ने जपनी रत्ना फ टार
यही फा्यं संपप्त फिया।
रननाथ रामायण वाल्मोपिरामायण फा मात्र अनुवाद नहीं हूं । स्यू स्पसे
घात्मीकिरामायण की कथा इसमें भा तो गई हूं, किन्तु उसके फयि ने दोच-बीच में
एसे प्रसंग भी जोडे हु, जो फदाचित् उस समय तफ जनता फो वोच उोफ-फयाओों फे रुप
मे प्रचलित हो चुफे थे । हम नीचे एते कध प्र्गो पन उत्केस करगे, गौ वारमोपि-
रामायण में नहीं मिलते, यद्यपि उनमें से फुछ प्रसंग जंनग्रन्यो में मिर्ते हं । कदाचित्
दवि नें यहीं से इन प्रसंगो फो लरर अपनी रामायण में सम्मिलित पार दिया हो :
१. ज्दुसाली का वुत्तात, २८ रावण से तिरस्टत हो विभीषण फा अपनी माता एं
पास जाना; ३ कंकेसी (रावण को माता) फा रावण फो हितोपदेदा, ४. रायण फारामफौ
धरुविदया-कुशकता फ अश्नस। करना, ५. गिलहरी दी भपित, ६. नागाश्च मं उट होफर
राम-लक्ष्मण के पास नारदयी का आना, ७. रावण फे भे मदोदरी फा राम फो महिमा
एव क्षौं फो प्रश्चसा फरना, ५. दूरौ वार संजोवनौ लाते तमय हुन्मान् तवा मात्यचान्
का युद्ध, ६. फलनेमि का वृत्तां, १०. सुलोचना फा वृत्तात, ११. शुक्राचायं फे मे रावण
का लड़ा रोना, १२. रावण फा पाताल-टोम, १३. अंगदे फा रादेण प्ते समक्ष
मदोदरी को बुला लाना, १४. रावण फी नाभि मं सवित अमृतत-पलश्ष फो
सोखने फे निमित्त मप्नेयास््र फा प्रषोग करने फी विभीषण को सलाह,
१५ लक्ष्मण की हंसी ।
उक्त प्रसंगो में जंवुसाली का वृत्तांत, फालनेमि का वृत्तांत, रावण फे समक्ष अंगद
का मंदोदरी को घसीठकर लाना, आग्नेवास्त्र फा प्रयोग फरने फी विभीषण फी सलाह
आदि पसे, जो मूलकथा एरी धटनामो फो अधिक तकं-पंगत सिद्ध फरने फे निमित्त
जोड़े हए अतीत होते हं । रावण से तिरस्कृत होकर विभीषण फा अपनी भाता फे पातत
जाना, ककसी फा हितोपदेश्च भौर सुलोचना फा वृत्तात आदि रावण के परिदार के लोगों
के चरित्र पर प्रकाश डालने फे साय ही साय इस ओर भौ इगित करते हैं कि रावण
भूतपतौ का वंशज एवं भूत-पेतो का राजा नही था, फिन्तु एष विलक्षण परिवार में
उत्पन्न हुआ चविदिष्ट व्यक्ति था । रावण का, राम की धनुधिद्या की छुशलता की प्रदन॑ंसा
करना, संदोदरी का रावण के समक्ष श्रीरास को महिसा एवं पराक्रम की प्रदांसा सरना,
गिलहरी फा वृत्तात भादि प्रसं राम फो उस लोकोत्तर व्यपिततत्व पर प्रकाश डालते हूं,
जो रच्रुमो की भौ प्रशंसा प्राप्त फरने कौ क्षमता रखता था । साय हौ साथ, वे रावण
तथा मंदोदरौ के चरित्र पर भौ प्रकाश डालते हे । उक्त प्रसंगो फो अलावा इस रामायण
मे यत्न-त्र एसे वर्णन भौ मित्ते हं, जो वाल्मीकिरामायण में नहीं मिलते, किन्तु जिन्हें
कवि ने वैदिक धमं में लोगो फी निष्ठा बढ़ाने के निमित्त जोड़ा है ।
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