जीवन सौरभ | Jeevan Saurabh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
82
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दीर्घायुका प्रशस्त मार्ग
नियमित जीवनी कौन कटे ! र्दा ऐसे छोगोंका वहुमत
है जो खूब खाने और आनन्द उड़ानेमें ही अपने जीवनकी
सफलता समभते हैं चहां खुख कैसे मिडेगा। ऐशो आराम-
को मानव जीवनका उद्य सम्रभना तो उन घोड़ोंका
जीवन है जो केवछ इसीलिये खूब खिलाये-पिलाये जाते हैं
'कि उनके द्वारा घदर्शन हो । मजुष्य जीवन भी यदि अच्छा
खाना, अच्छा पहनना तथा शरीरकों अप्राछतिक कर्मों
हाया क्षीण करना हो तो फिर दीर्घायु और स्वस्थ जीवन
कैसे मिरेगा 1
आज हम अपने जीचनका प्रत्येक कार्य प्रकृति चिरुद्ध
कर रहे हैं। कोई भी कार्य ऐसा न रहा जिससे मानव
घर्मकी रक्षा होती हो । दीर्घायुकी घ्रात्तिके लिये स्वेप्रथम
आवश्यकता यह है कि दम अपना जीचन
भाचारयुक्त और नियमित बनायें और
श्रकृतिके चनाये नियमोंके अनुसार अपना प्रत्येक कायं
वनाये । भोजने सात्विकता नीं, सुबरी सदवासमें प्रकृति
श्र्मेका पालन नहीं, वचनम सत्यता भौर दूढ़ता नहीं,
समयका.अपन्यय, कारवार सत्य ओर ईमानदारी नहीं;
. विचा्येम अश्छीखता, स्नी जातिक्ा अनादर, निषदे श्य
कीर्यपात, सन्तानको उत्तम वनानेकी चेष्ठा नहीं । ये खव
अत्पायुका प्रकोप
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