जीवन चरित्र | Jeewan Charitra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
122
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जितना घनिष्र या दृढ़ था, उसी सीमा तक था उसी अनुपात में अब
उस मान्यता के असत्य प्रतीत हो जाने से उन सदूणुणों के प्रति श्रद्धा
या निष्ठा में कमजोरी आ जायगी। दूसरी हानि यह है कि सभी
सद्-वृत्तियों या सदाचारों के लिए अच्छे और सच्चे कारण है श्रोर
व्यक्ति के व्यक्तित्व के भीतर या प्राखी के यथायथें स्वरूप में ही एक
प्रकृतिजन्य प्रेरणा भी है या लब्धिरूप से सद्-वृत्तियों-प्रदृत्तियों का
पूरा भंडार ही वरँ, लेकिन जव उसे असत्य के साथ अपेक्षित या
सम्बद्ध करके उपयोग मे लाया जाता हे या जव अपनी सद् वृत्तयो
' को असत्य पर निर्धारित किया जाता है तब स्वभावतः ही उन सत्य
स्वाभाविक या वास्तविक कारणो या प्रेरणां का मूल्य व प्रभाव
` कम हो जाता दै, और इसका दुष्परिणाम यह् होता है. कि उन्हें भुला
कर या दबाकर जो कुछ समय के लिए द्रतगति से कल्याण होता
दिखता था, वह रुक जाता है, बल्कि ागे चल कर उससे धिक
कल्याण होने लगता है । मानव-चरिन्न की सभी अच्छाइयां हमारे
स्वभाव में नैसर्गिक रूप से विद्यमान हैं। लेकिन ऐसा न भी हो तो
बाहर उन अच्छाइयों को प्रहण करने के लिए वास्तविक तथा स्वेथा `
उचित कारण हैं । ऐसी दशा में कल्पनाओं या भ्रूठी मान्यताओं पर
उन्हें टिकाना व्यथै ही उन्दः री बनाना हे तथा भविष्य के लिए
खतरा मोल जेना हे
प्रश्न-सदाचरण अथवा सद्-वृत्ति-प्रहण के वास्तविक
कारणों की सहायता लेकर भले ही कुछ सुशिक्षित; सुसंस्कृत या
विशेष बुद्धिमान-विद्वान व्यक्तियों को इधर प्रेरित किया जा सके,
लेकिन जन-साधारण को इधर आकर्षित करने के लिए तो ऐसे ही
कारणों की दुद्दाई आवश्यक हो सकती है, जिनका आधार /भय;
प्रलोभन, कल्पना, अज्ुमान आदि हो ।
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