धर्म - परख | Dharm Parakh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
297
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(६)
कॉभ्रोपुकंवन सेली मे अधिव्यकत करते हुये यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है कि
धर्म किसी जाति, मे, फरप या सम्प्रदाय विशेष की परिधि तक सीमित नहीं हैं ।
धिज्ञान-मगण ही आनोकित करन वाला वम हीह । पुनीत्त राजनीसिशों में धर्म ही
बिचरण करता है | मीन दुधगबन सीता ने घर्मन्दोत्र म द्धी राजतीति फो स्थानं
दिया हूं 1
सपुकत राग सच (यू एन० सो) समार की एक महान संस्था मानवता कै मेर
दण्द पर विश्य प वरिश्वरी टूर समस्त रास्कृतियों का समस्वय स्थापित करने एवं
वसुव कुटर्दकग' के ग्राधार पर मानव जगत नो एक दूसरे के निकट लानें में
सगी हैं । चस्तुन, यह रास्था धर्म के मुख नत्वों, रांग्कति, समाज प्रौर् ज्ञानक सद्
लक्षणों का प्रावसिधिरव रनों हं; सी प्रबार सदनुणो एव सात्विक विचारों को
भारख कर निष्पद चिस्तम गरते वाली रास्थाये, पीठ, संगठन, सस्थान, प्रतिष्ठान
गि तमपौ रवस्य को प्रत कुक करते र)
शम् जगि क प्रासा शपते २ सीञकणा दध सं ग्रन्थ का प्रक्षये री परन्तु राज
का सोस्सबोदी थिनारघार का मानव एसे पायोपास्त श्रघ्यमत कर् धर्म के सच्चे
रवरूप को परलेगा भर सपने जीवन से घर्म को उनारेगा । दस ग्रन्थ में मैंने पूणी-
नंद, सा सास्मवाब, बिस्वार्याईी सासाज्ययाद, समाजवाद, राम्यबाद, भर्म मिरपेश्ष-
बाद एस सनेर बार मत बम की सूसि पर विवेचन करते हुय उतारा हैं ।
पर्म के मूलनभून दस नकषणों को घारण करने वाले सुग-धर्म के प्रवर्तक, विश्व-
अनननायक बह्मी शत थी जवाहर साल सेहूरू, जिन्होंचे धर्म-प्रसूनों को संसार में
धिक् न बनना गत कर दी । उस युग पुरुष के जीवने-दर्शन का पथ-प्रदर्शक
यह 'वर्म-परख' जम-मीवत्त की नावनामो कौ झअनुपाखणित करने में सहायक हो यही
मेरी कामना मै ।
केयु प्रणन द्यो मन कदर यायो म म्ननूवन्धित कियो है
पवृम् पृयमः--
यदत प्री उया से तनिक प्सा समं का सप्यासमेषणु ऊरौ क सिषे
परध, म के नसय प (मदी व्यस्य; मि, अन शर् वसय के श्वद्प का
वसन, पथा दीद दम श्राय धम् का पथ-घंदर्यत, मानस दीथों तथा शरैर् रीथ
मी लमसाभिव्य£ गया, सुर का अआमभन तथा उनसे पात्रों का वादन्संवाद |
द्विती एनम --
मत का अवमन् तपा पतन से बाद-सदाद, ज्ञान की खोज, धर्मशूति का
यागसंन, म्रपर्ाटीय पर्म सम्मेरन, पंच टेयनायोँ का प्रकट होना सथा उलके उपदेग,
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