गुसाईं - गुरुबानी | Gusain Gurubani
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
26 MB
कुल पष्ठ :
815
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१५५ 3 ५ 11
प्रादि नरजनि जानियो निर्भों तुम निरकारि
श्रगिभ श्रगोचरि सुनि रचना राचन हारि »
(६
ग्रादि निरजनि हय निरकारा । रहिता सुममाध निग्राय)
वपि विस्थारि कौनते विस्थस । उपरिजि तीनि देव अधिकार 1
प्रलिष पृषं॒॑श्रकास वनायो। पोनि यद्धि मिल पीन उप्र +}
पौन मध्य॒ जब तेज नवासा) ताते जलि धरि कौनी श्रमाः +;
जलि के ऊपरि घरिन बनाई । थ्रासा ससिसा नहा ममाद ॥
घर्मछुजा ते धौल विचा) धरनी यपर रापमहारा ॥!
ताका बधन वासवे कीना । पौनि थह्टा दस लारि प्रबीना ॥
जोति प्रकास चंदि रवि तारे । रचना रावी राचनहारे 1!
जो जो जीवि जनिम जुणि करिश्ना। सोई सोई नाम ताहे फुनि घरिया ॥।
माया मोह पटल जबि कीश्रा । तापरिउरिफक रहो एह जीशा 1!
श्रलिप पुषं की धारना क्या कोई सकें विप्यानि |
सार्ददास श्रहरि साश्रु हुकम प्रभ सो मति हिदं मान
रगि रमि बहु रभे मं सम रंगि रहयों संमाई।
जेता ब्भ प्रभ साईदास तेता दीभ्रों बताई 0
२
कौनि वेला कौन बीचारि | रुति थित जुगिल्हा कौन वारि* ॥
नमछत्रि लग्न जोगि वीचारि । जिह सम, होइआ श्रोकारि ॥
१. श्राद सरंजनि जानियो--इस दोहे में बाबा साइंदास जीने पुकः श्रगम् प्रन
तत्त्व से जिसे “दि निरजन” कहा है, सूप्दि ब्चसा हुई मानी हु । यहा
किस प्रकार बनी श्रागे की पवितयों में इसी का बर्णन है । यहा सूर्टि रब
सम्बन्धी सारा पौराणिक वणेन सामने झा जाता है।
२ प्रलिष पुषं कौ घारना--यहीं सृष्टि रचना का वणेन समाप्ते है)
३. रमि रोगि बहुरंग मे--प्रमु कौ सवेव्यरापकेता वर्णन ह ।
४. कौनि वेला कीन दीचारि--पहा श्रोकार स्वरूप प्रव्यक्त परमार्मा कै भजन
होने का वर्णन है। यही बात गुरु नानक देव जी ने रौरास में कट्टी है 1 तुन
परिशिष्ट में देखिए 3
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