विनाश या इलाज | Vinash Ya Ilaj

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Vinash Ya Ilaj by कुमारी म्यूरियल लेस्टर - Kumari Myurial Lestor

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बच बहरगी पार्टियाँ, कृत्रिम आयोजनों केद्साथू हरा प्रकट होने- वाला च्रानन्द सटा सच्चा न मालूमिरता रया पि श्रानन्द का ग्रतुभव न करते ये शौर फलतः जवन को श्रविश्वास-पूर्वक देखने लगे थे । उनके मन मे यदद प्रश्न उठने लगा था, कि क्या यह जीवन सचमुच ही जीने लायक है ? + जिन्होंने जरा सतह के नीचे देखने की चेष्या की उन्दने उसे पाया जिसका प्रत्येक सन्तति, प्रत्येक पीढ़ी को श्रपने लिए पुनः श्नन्वे- प्रण॒ करना श्रत्यन्त श्रावश्यक हे श्र वह कि केवल सेवा मे, किसी स्वायं म श्रपनेको खो देने मे, अपनी इच्छा के स्थान पर प्रभु की इच्छा को स्थापित करने म ही झ्रानन्द है । ऐसे लोगों को उनके जीवन का कायं बिलकुल चित्रित श्रौर तैयार मिल गया । सामाजिक और श्रौद्योगिक स्थितियों के श्रध्ययन ने सैकड़ों युवा व्यक्तियो को सोसायटी ( समाज ) की चमक-दमक से दूर, निर्जन साहसिक मागों पर डाल दिया | आओलिवर श्रीनर का स्वप्न ( 1८०08 नामक एकय्न्थ प्रका- शित हुआ । इसने अपनी शक्तिमान भावनाओं के द्वारा हजारों के मन में वैभव के लिए श्रमिमान की जगह लज्जा की श्रनुभृति पैदा की । कितनों ने ससार के उस रुप का स्वम देखना शुरू किया जो 'सब मनुष्यों का सम्मान करोः उक्ति > श्रत॒सार श्राचरण करने प्रर होता--एक ऐसी दुनिया जहाँ वर्ग, जाति, राष्ट श्रौर धमं की दीवार नंगी और जद्दों--




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