मार्क्स से वर्तमान तक | Marks Se Vartman Tak
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
438
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मार्क्स वाद रे
प्रतिरिक्त-मूल्य सिद्धान्ते (11९01 ० इण0105 ए०!06) से स्पष्ट हो जाता है 128
माइसवाद के वंज्ञानिक समाजवाद के रूप में सबसे बडी श्रुटि यह थी कि
मार्फस बा श्रध्यपन निष्पक्ष नही था। उक्षे जो भी तथ्य एकत्रित किये, उनका
जौ विवेचन किया, उसका मश्य उरए्य क्रान्ति द्वारा सर्वहारा-वर्भे की सत्ता की
स्थापना करना था । इसके समर्थन में उसे जो तथ्य मिले उनका उसने प्रयोग किया
तथा जो तथ्य उसके निप्फष के विपरीत जाते थे उनकी श्रवहेलना वी । इसे प्रकार
एवं पक्षीय ग््ययन् को पूर्ण विज्ञान कहना उपयुक्त नहीं होगा । आगे के पृष्ठों में
मावमंवादी सिद्धान्तों के श्रघ्पयन से यह बात श्रच्छी तरह स्पष्ट हा जाती है ।
कार्ख मावस तथा ऐन्जिल्स वैज्ञानिक समाजबाद के प्रमुण प्रवक्ता है, किम्तु
बुदछ ऐसे भी समाजवादी हैं जो मावरत-रेन्जित्स फे विचारो के बु सत्दो को
स्वीकार करते हैं तथा कुछ को प्रस्वीकारे । किन्तु उन्हे भी वैज्ञानिक समाजवाद
मा समर्धकः माना जाता है। इनमें काले रोडवटंस (६४1 दिण्वषएलाण5,
1805-1875 ) त्तथा फर्डीनेन्ड लाराल ( ८८7617२6 1.245215, 18251864 }
वो नाम प्रमुय है । मास ऐन्जिस्स तथा इनमें मतभेद इस बात पर है कि समाजवाद
लाने के लिये तुरन्त गया कार्यश्रम हो तथा राज्य के विषयमे वास्तव म क्या
दृष्टिकोण होना चाहिये । वैज्ञानिक समाजवाद ऊ विपय मे दष्टेनि मामे -एुभिजत्स
की मान्यनाप्रों का लगभग समर्थन बिया है हालाकि उनके चरण एवं परिणाम
बुद्ध भिन्न हो है 12%
नद्रास्मक भीत्तिकवाद
019160६3} अलाभ
फालं मावसे की विचारधारां बा श्राधारभूत विदधान दरद्रालमक् भौतिकवाद
है1 दृनदषा प्रथं तयंसम्मत विचार-विमर्श है। पिसो भी तथ्य की यास्तविषत्ता
को झाने बी प्राप्ति तर्क-सम्मतत पिचार- विमर्श रे ही सम्भव होती है । सामाजिक
विवास-प्रम या शान करने के लिये रार्दप्रथम दन्द्वारमक सिद्धात को हीगल ने
प्रदग पिया था । इस सिद्धान्त थी मान्यता है कि ऐतिहासिक घटना-घम कुछ
निश्चित नियमों के प्रमुसार चसता है। इन्हीं नियमों के श्राधार पर सामाजिक
परिवर्तनों को समझा जा सकता है ।
हीगय ने समाज वो सतिमय त्तया परिवर्तनशील चतलाते हुए विश्व-ग्रात्मा
_ (णण 51] वो. उसवा नियामक कारण माना है। होगल मे इन्दात्मकता
---------
२१. 6०1९,० एप, पाठक त इन्लेञोर कण्णो), ४० 71, ए 269 89,
१०४, 0०४६4, इत्लं 1 शल न 5०८1९१५, ए 5-58 ,
श्म भम्यन्ध भे देविये
2135०, पाल ए , [९१५
५ 010 कस प 1०9, 78. 21113.
२4, (3, (तस्ता, ५
पल ऽज्ञा वरवाप०, ए. 332 » 324, 3423-4
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