अथर्ववेद शतकम | Atharvaveda Shatkam

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Atharvaveda Shatkam by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१ १ व ] १ | र १ डे १ ॥ ॥ १ [६७] परमात्मा की पूजा 'प्रचेत प्रार्थत प्रिपमेषासो प्रचेत । शर्धन्तु पुभया उत पुर न धृप्णयर्चत 9 २०।७२।५ प्रिपमेघाग ) है प्यारी “हितवा- । रिशो' घुद्धि याले पुरुषा | (घृप्णु) निर्भय (पुरमू न) ग्यैः शमान उ परमेश्वरा मौ (प्रपत) पूजो ( (त्र) गच्छे प्रवार (मर्चत्त) पूजो, (रधं) प्रमो, १ (उत) प्रौर्‌ (पुश्रवा) गृएो सन्तान उषतो 1 (मर्नन्तु) पूजे । { साया मनुष्यों वो चाहिए नि वे भ्रषने पुध् है पुथियों राहत प्रस्पेर क्षण मे, प्रयते पदापंमे, है प्रसेर मं गे परमारमा की शक्ति को निहार कर है प्रारमा थी उन्नति करे । 4 „०, ~~~ =




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