बन्दी जीवन [तीनो भाग] | Bandi Jeevan [Teeno Bhaag]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( 35 } ` नेतायण श्ररविंद घोष के दार्शनिक विचारों से प्ंतरंग रूप से प्रमावित हो रहे थे 1 इससे यढ़कर सन्तोप ग्रपने जीवन में मुभ वहतत कम भिलां है। मेरे मानसिक दों केदसश्रंश को चिना समते वन्दी जीवन' के वहृत-से स्यानों कौ पाठक टीकर से नहीं समझ पाएंगे । ऐसी मानसिक परिस्थिति में मैंने यान्तिकारी दतमें काम किया एवं इसी मनोवूत्ति को साथ सेकर मैं जेल गया, कालेपानी गया शरीर लौट भी श्राया | ॥ सन्‌ 1920 के बाद जव म कलिपानी से लौटकर प्राया तेत्र महात्मा गधी आरत के राष्टीय ्षेत्रमेन्रपनी कायभ्रणालो को तेकर श्रचतोण हो चुके थे । महात्मा गांधी की हिसा नौति के कारण, एवं महात्मा गांघी देसे महान्‌ व्यधित का भारत के राष्ट्रीय भ्रान्दोलन में सक्तिय रूप से भाग लेने के कारण भारतीय क्रान्तिकारी ्रान्दोलन को काफी वाचा पहुँची । महात्मा गाघी यह प्रचार करने लगे कि भारतीय प्राचीन अदर के साय भारतीय क्रान्तिकारी यान्दोतन कास्म- न्वय नहीं हो सकता 1 मानों प्राचीन भारतीय प्रादय मे श्रीङ्प्ण का एव बुःसे के महापुड का कोई स्वान ही नहीं है। महात्मा गांधी की तरह संस्कृत पाठ- झालामों के छात्र एवं प्रव्यापकणण सी भारतीय प्राचीन श्रादर्श के नाम पर भार- तीय क्रान्तिकारी श्रार्दोलन के विरुद्ध तीब्र प्रचार किया करते थे । इस प्रकार से हिंसा एवं झ्िसा की नीति को लेकर मेरे मच में दूसरा संघर्ष उत्पन्न हुमा था, लेकिन यह्‌ इतना तीघ्र न था । महात्माजी ने वेलगांद कांग्रेस में क्रान्तिकारियों के विष्द्ध जो कुछ दोपासोपण किए ये उसके श्रत्युत्तर में मैंने फरार हालत में महात्मा जी के पास झपने नाम से एक चिट्ठी भेजी थी, वह चिट्टी ज्यों की त्यों 12 फरवरी सनु 1925 की 'मंग इंडिया' में प्र कासित हुई थी । उसी श्रंक में महार्माजी ने उसका उत्तर भी दिया था 1 “ कालेपानी से लोटने के वाद संभवत: सन्‌ 1923 में हो मैं पहले पहल कम्पुनिस्ट सिद्धान्तों से परिचित हुमा । यह एक नवीन सिद्धान्त था जिसके साथ क्रान्तिकारों दल के किसी व्यक्ति का भी उस समय यथार्थ परिचय न था । तत्पश्चातु सन्‌ 1926 म जेल जाने के पहले में कम्यूनिस्ट सिद्धान्त के साथ यधेप्ठ रूप से परिचित हुमा ! बहुत से प्रामाणिक ग्रम्थ पढ़ें, कम्शूनिस्टों के साथ खूब दाद-विवाद किया, विचार विनिमय रिया 1 एक तरफ मैं क्रान्तिकारी झान्दोलन मे सुटा था दूसरी तरफ वन्दी जौवन के दूसरे माग का सम्पादन-कार्म भी कर रहा था, एवं कम्यनिर्द




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