प्राचीन भारतीय अभिलेख भाग २ | Pracheen Bhartiya Abhilekh Bhaag 2

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Pracheen Bhartiya Abhilekh Bhaag 2  by वासुदेव उपाध्याय - Vasudev Upadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अक्षोक के धर्म-लेख : २६१ ( झ) दक्षिण भारत के गोविमठ तथा पालकी गुण्बु { मदास प्रांत) में मी गौड लेख की प्रतियाँ उपलब्ध हुई हैं । ( प) उत्तरप्रदेश के ललितपुर जिले तथा अहरौरा ( मिर्जापुर जिले) से अशोक के गौड़ लेख की कुछ पंक्तियाँ प्रकाश में आई हैं । उनसे किसी विशेष बात पर प्रकाश नहीं पड़ता है । ( ३ ) श्रधान स्तम्भ लेख--अशोक ने सात स्तम्भ लेखों को साम्राज्य के अन्तर्गत प्रभुख स्थानों पर सफेद तीस फोट ऊचचे स्तम्म पर अंकित कराया था । ये स्थान राजमागौँ पर स्थित थे अथवा स्वयं प्रमुख नगर थे । (य) देहली में अ्षोकके दो स्तम्भ हैं । जिसमें एक अम्बाला के समोप नोयार स्थान से तथा दूसरा मेरठ से सुल्तान फिरोजदाह तुगलक द्वारा देहली मे लाए गये चे) एकं फिरोजशाह कोटला पर खड़ा है तथा दूरा पुरानो दिल्लो माकाशवाणो भवन के पास । वे देलही-टोपरा तथा देलही-मेरठ के नाम से प्रसिद्ध हैं । (र) इलाहाबाद का स्तम्भलेख--प्रारम्भ में मशोक ने इस स्तम्म को कौशाम्बी में स्थापित किया था । सम्भवत: मुगल सम्राट_ अकबर उसे हटा कर इलाहाबाद से आया । वह वर्तमान किले में ऊंचे चबूतरे पर खड़ा है । | (ल ) बिहार प्रदेश के चम्पारन जिले में अशोक के तीन स्तम्भ खड़े हैं। पहला लोरिया अर राज ( राधिअर ) लोरिया नन्दन ( माधिजर ) तथा तोसरा राम- मुखा नामक स्थान पर स्थित हं । मोतिहारी नगर से तोनों स्थान को सरलता- पूर्वक देख सकते हैं । एक जिले में तीन स्तम्भों की स्थिति कौतूहल पैदा करती है। लोरिया के दोनों स्तम्भ अपने स्थान पर खड़े हैं। सम्भवत: भशोक ने इस भू-भाग को महत्त्वपूर्ण समझा । अथवा कपिलवस्तु से नेपाल तक का मार्ग प्रमुख रहा होगा जिसकी भोगोलिक प्रधानता कै कारण तीन स्तम्भो पर लेख अंकित कराना जावदयक हज । इन छः स्तरम्मो मेँ केवल देकदी टोभरा परर सातों लेख खुदे हैं । अन्य स्तम्भों पर छः लेख ही अंकित मिलते हैं । (४) गौड़ स्तम्भलेख--ये निम्न स्थानों से मिले हैं । ( १) प्राय: गोड़ स्तम्भलेखों का विशेष प्रयोजन था । अतएव विशिष्ट स्थानों पर हो स्तम्भ स्थिर किये गये । सारनाथ ( वाराणसी के समीप ) बुद्ध का धर्मचक्र परिवर्तन का प्रसिद्ध स्थान है । साची पाटलिपुत्र से भरींच ( बन्दरगाह ) जाने वाले मार्ग पर स्थित है । उस स्थान की सेट्टी की कन्या से अद्लोक ने विवाह किया था । स्तूप के साथ ही स्तम्भ का कार्य अशोक ने म्प्नं किया होगा । संचो ( स्थान ) पूर्वी मालवा की राजधानी विदिशा के समोप है । कोशाम्बी प्रयाग से तीस मोल की दूरी पर यमुना के किनारे बत्स राजाओं की राजधानी थी । वही घोषिताराम में बुद्ध ने वर्षावास किया था । ऐसे प्रमुख स्थानों को अशोक ने स्तम्भ लेख अंकित कराने के लिए चुना । इन लेखों को घामिक लेख ( 30810 ८पांटा ) कहना चाहिए । सारनाथ, सांची तथा कौशाम्बी से जो स्तम्भ भिले है उन स्तम्भों पर एक ही भाज़ञा खुदी है 1 यानी लेख समान विषय बाले हैं । उनमें सभी वाक्य एक से नहीं हैं । सारनाथ लेख -




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