नारायण चरितावली | Narayan Charitawali

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Narayan Charitawali by निर्मल जी - Nirmal Ji

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नारायण चरितावली ईश्वर की लीला बड़ी ही गूढ़ एवं रहस्यात्मक है । अभी तक इसके रहस्य का अन्वेषणं कोद भी जीव पणं रूप से नहीं कर सके । इने गिने जो इनके स्वरूप में मिले हुये अर्थात्‌ उन्हीं की शक्ति एवं तत्व लेकर इस ध राधाम मं अवतीणं हुये हैं वही उनको समझ सके हैं । इस पृथ्वी के रंगमंच पर अनेक नटवर वेष घारण करके वहु तर्वर लीला का अभिनय किया करता है जिसका थाह लगाना असंभव है। जितना ही शाहु लगाने का प्रयत्न किया जाता है उतना ही अथाह प्रतीत होता दै । पुरुष {च्चिदानन्द अनन्दधन घनश्याम है, प्रकृति उनकी महामाया दि शक्ति जी राधा रानी है । स्थूल रूप से देखने में प्रकृति एवं पुरुष दो हैं किन्तु सूत्र रूप से दोनों रुक ही है । श्याम ही श्यामा है, श्यामा ही श्याम है । दोनों में अभिन्नता है गेनों में से एक के अभाव से लीला अधूरी ही रह जायेगी । दोनों की शक्ति रावर है । पूर्ण पुरुषोत्तम प्रभु राम से जब महिषासुर नामक देत्य काल का ग्रास न हों सका तब आदि शक्ति श्री महामाया सीतारानी ने दुर्गा का अवतार कर उसका वच किया । इस प्रकार इतिहास के पन्‍ने पलटने से हमें ज्ञात होता है ,अनादि काल से रुप एवं प्रकृति के सहपोग से इस सृष्टि कौ उत्पत्ति, पालन एवं संहार होता




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