गाड़ीवालों का कटरा भाग - 3 | Gadivalon Ka Katara Bhag - 3
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
176
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दूसरा अध्याय
कोल्या ग्लेडीशेव एक झच्छा, खुशांमजाज़ आर शर्मीला छोकरा
था जिसका सिर काफ़ी बड़ा था । उरुके लाल-लाल युलावी गालोंपर,
ऊपरी होंठ के ऊपर श्र उसकी नई-नई निकलनेवाली मूछों के भीतर
एक विचित्र, देढ़ी, सफेद लाइन बर्नी हुई थ. जो ऐसी लग थी मानों
दूध की बनी हो । उसकी आँखें भूरी श्रौर भोली थीं और सिर के बाल
इतने छोटे कटे थे कि उनके रेशमी रूश्रों के श्रन्दर से उसके सिर की
खाल ऐसी चमकती थी जैसी कि एक झ्रच्छी जात के दुध सुश्नर
की खाल चमकती है । पिछले जाड़े में जेन्का इसी छोकरे से उसकी
मा की तरह अथवा उसको गुंडा समककर प्रेम किया करती थी और
जवे वह शर्म से सिटपिटाता हुआ जाने लगता था तो उसको फल श्रौर
मिठाइयाँ खाने के लिए देती थी ¦
श्रवकी बार जब वह् श्राया तो उसमें, सैनिक कैम्पों में काफ़ी दिन
रहने के बाद, उम्र का वह फक़क, जो झक्सर छोकरों को बहुत जल्द
और स्पष्ट तौर पर कुमार से जवान बना देता है, दीखता था | वह
सैनिक शिक्षालय में श्रपनी शिक्षा पूरी करके अब पूरा सैनिक जवान
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