कवितावली रामायण | Kavatavali Ramayan (sateek)

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Kavatavali Ramayan (sateek) by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १५ ) छागे चलकर मक्तप्रवर महाकवि तुलसीदास के रूप में हिन्दी-साहित्य- जगत में झवतीणं इए । ठुलसीदासजी के इन दोनों जीवन-चरितों के छत्तान्तों में परस्पर रय्यासि विरोध है, किन्तु उनमें य तच कुदं सादश्य भी ई । दोनों ने गोस्वामीजी को सरवस्या बाह्मण माना है और उनका जन्म संवत्‌ ९५५४ वि० दिया है। इस संवत्‌ को च॒लसीदाखजी का जन्म-संवत्‌ ग्रदण करने से और १६८० निधन संवत्‌ मानने से उनकी अवस्था १२६- १२७ वषं ठदरती है } शिवसिंहसरोजकार ने लिखा दै करि गोस्वामीजी संवत्‌ १५८३ के लगभग उत्पन्न हुए थे । मिज्ञापुर के प्रसिद्ध रामभक्त श्और रामायणी पंडित रामशुलाम द्विवेदी भक्तों की जनश्रुति के आधार पर इनका जन्म खंवत्‌ १५८६ मानते ई । डाक्टर सर जाज॑ मियसन ने भी इस पिछले संवत्‌ को ही स्वीकार किया दै। किन्ठु तासी ने झापने इतिहास में विल्सन साहब का उद्धरण देते हुए लिखा है :--- 'गोस्वामीजी ने केवल इकतिस वर्ष की अवस्था में रामचरित मानस की रचना की! रामचरितमानस में स्वयं कवि ने उसका स्वना- काल संवत्‌ १६३९ दिया दै । गोस्वामीजी के सम्बन्ध में एक यही ऐसी ` तिथि है, जिसकी एेतिदासिकता पर किसी प्रकार का झाक्षेप नहीं किया जा सकता † यदि युलसीदासजी ने सचस्व इकतिस वषं की श्मवस्था में रामायण की स्वना की, तो उनका जन्म संवत्‌ १६०० के त्रासपाख उहस्ता है । रामायण की प्रौढ़ शैली को देखकर यद स्पष्ट हो जाता है किं यद गोस्वामीजी के मध्यकालीन जीवन की स्वना! इसकी स्वना के समय गोस्वामीजी केवल नाना पुराण निगमागमः के कोरे विद्वान्‌ ही नहीं ये; किन्त संसार के दुख-सुख तथा अनेक अभवो से भी झपरिचित न थे । यदि गोस्वामीजी का जन्म संवत्‌ १५५४ था, तो रामायण की स्वनाके समय उनकी अवस्था ७७ वपं कीयी। इस ब्द्ावस्याः मै गोस्वामीजी ने रामायण का श्ारम्भ किया, इसमें




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